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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए छात्रों पर कार्रवाई से माकपा व भाकपा नाराज

चेन्नई : सीपीआई(एम)और सीपीआई ने सेक्युलर प्रोग्रेसिव एलायंस के दो प्रमुख घटकों के सदस्यों पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर पुलिस कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार से नाराजगी जताई है। गौरतलब है कि कुछ विश्वविद्यालयों में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) के कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की थी।

माकपा और भाकपा के वरिष्ठ नेता छात्र और युवा कार्यकर्ताओं के गुस्से को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन निजी तौर पर वे स्वीकार करते हैं कि सरकार ने इन पर कार्रवाई कर उचित नहीं किया।

भाकपा के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, डीएमके सरकार हमारे छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं पर नकेल कस रही है। यह केवल इसलिए है क्योंकि उन्होंने गुजरात सांप्रदायिक नरसंहार पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को स्क्रीन करने की कोशिश की। डीएमके किससे डर रही है?

माकपा और भाकपा के के लोकसभा में तमिलनाडु से दो-दो सदस्य हैं और दोनों पार्टियों के पास इन सीटों को जीतने के लिए अपनी ताकत नहीं है। इसलिए वामपंथी दल इस मुद्दे को पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच ज्वलंत रखने की कोशिश करते हुए खुले में चुप रहना पसंद करेंगे।

हालांकि वरिष्ठ नेताओं को पार्टियों के छात्र और युवा नेताओं को भरोसे में लेना होगा और इसलिए सरकार के खिलाफ निजी गुस्से को डीएमके द्वारा गंभीरता से नहीं माना जाता है।

डीएमके के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु सरकार में जल कार्य मंत्री एस दुरैमुर्गन ने कहा, हमें माकपा भाकपा के साथ कोई समस्या नहीं है और हम पिछले कई सालों से साथ हैं। ये विपक्ष द्वारा लाए गए विवाद हैं और हम वाम दलों के साथ अपने संबंध जारी रखते हैं।

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