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नई दिल्ली : लिंगानुपात में गंभीर अंतर से जूझ रहे भारत देश के लिए नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। देश की समग्र आबादी में पहली बार पुरुषों की आबादी की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा हुई है। इस सर्वेक्षण के अनुसार देश में अब 1,000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी 1,020 हो गई है। वहीं आजादी के बाद ये भी पहली बार रिकॉर्ड बना है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1000 से अधिक हो गई है। एक और अच्छी खबर यह है कि जन्म के समय भी सेक्स अनुपात में सुधार हुआ है। 2015-16 में ये प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का थो, जो 2019-21 में सुधकर प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों का हो गया है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों में गांव और शहर में लिंग अनुपात की तुलना की गई है। सर्वे के अनुसार सेक्स अनुपात शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतार हुआ है। गांवों में जहां हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, वहीं शहरों में 985 महिलाएं हैं। बता दें कि इससे पहले NFHS-4 (2019-2020) में गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
देश की बढ़ती जनसंख्या को लेकर अच्छी खबर सामने आ रही है। दरअसल, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के दूसरे चरण के अनुसार, देश की कुल प्रजनन दर (TFR) या एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2 हो गई है। जबकि कन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेंस रेट में भी वृद्धि हुई हैं और यह 54 फीसदी से बढ़कर 67 फीसदी तक हो गई है।