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GST बिल, जानिए क्या होगा सस्ता और क्या महंगा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार बुधवार को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) बिल राज्यसभा में एक बार फिर पेश करने वाली है। ये बिल पहली बार 16 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के वक्त अस्तित्व में आया था। जीएसटी बिल लोकसभा से एक साल पहले ही पारित हो चुका है। राज्यसभा में इस पर चर्चा के लिए साढ़े 5 घंटे निर्धारित किए गए हैं।gst-bill-facts_201683_115453_03_08_2016

जीएसटी बिल साल भर से लोकसभा से पारित होकर इसलिए लंबित है, क्योंकि मोदी सरकार की राज्यसभा में बहुमत नहीं है। राज्यसभा में जीएसटी बिल पेश करने से पहले भाजपा ने व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों से तीन दिन तक सदन में हाजिर रहने को कहा है।

आइए जानते हैं कि जीएसटी के आ जाने से आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है।

क्या है GST और क्या मिलेगा

ग्राहक अलग-अलग सामान पर 30 से 35 फीसद टैक्स देते हैं। जीएसटी में इन सभी करों को एक साथ लाकर 17 या 18 फीसद कर दिया जाएगा। इसके बाद सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा और टैक्स भी एक ही जैसा होगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।

क्या सस्ता होगा

जीएसटी के लागू होने के बाद लेनदेन पर से वैट और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा। ऐसा होने के बाद घर खरीदना पहले के मुकाबले सस्ता हो सकता है। घर खरीदने के अलावा रेस्टोरेंट का बिल भी कम हो जाएगा। बता दें कि फिलहाल वैट हर राज्यों के लिए अलग-अलग और 6% सर्विस टैक्स बिल के 40% हिस्से पर 15% दोनों लगता है। जीएसटी के तहत सिर्फ एक टैक्स लगेगा और ये आपकी जेब के लिए फायदेमंद होगा. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज, वाशिंग मशीन सस्ती हागी। फिलहाल 12.5% एक्साइज और 14.5% वैट लगता है। जीएसटी के बाद सिर्फ 18% टैक्स लगेगा। खरीदारी के अलावा माल ढुलाई भी 20% सस्ती होगी जिसका फायदा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को मिलेगा।

क्या होगा महंगा?

चाय-कॉफी, डिब्बाबंद फूड प्रोडक्ट 12% तक महंगे होंगे। बता दें कि इन प्रोडक्ट्स पर अभी तक ड्यूटी नहीं लगती थी जो कि GST के बाद से टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। सर्विसेज पर नज़र डालें तो मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल भी महंगा होने वाला है। फिलहाल सर्विसेस पर 15% टैक्स (14% सर्विस टैक्स, 0.5% स्वच्छ भारत सेस, 0.5% कृषि कल्याण सेस) लगता है। जीएसटी होने पर ये बढ़कर 18% से ज्यादा हो जाएगा। GST आने के बाद MRP पर टैक्स लगने लगेगा जो फिलहाल डिस्काउंट के बाद वाले दम पर लगता है। GST के बाद जेम्स एंड ज्वैलरी महंगी होना तय है क्योंकि इस पर अभी 3% ड्यूटी लगती है जो GST के बाद बढ़कर 17% तक हो जाएगी। रेडिमेड गारमेंट भी महंगे होंगे क्योंकि फिलहाल इन पर 4 से 5% वैट लगता है जो GST के बाद 12% हो जाएगा।

देश की अर्थव्यवस्था का क्या होगा ?

महंगाई की मार झेल रहा देश अभी कुछ साल इसे और झेलने वाला है। GST लागु होने के बाद करीब 3 साल तक महंगाई का बढ़ना तय मन जा रहा है। बता दें कि मलेशिया में साल 2015 में जीएसटी आने के बाद से महंगाई दर 2.5% तक बढ़ी है। इसका सीधा सा कारण है कि अभी हम रोजमर्रा की सर्विसेस पर 15% सर्विस टैक्स देते हैं जो GST के बाद अब 18% होगा। हालांकि पेट्रोल-डीजल-गैस जीएसटी में नहीं होंगे। जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर सिर्फ तीन टैक्स वसूले जाएंगे पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा।

टैक्स घटाकर केंद्र और राज्य सरकारों को यह मिलेगा

गौरतलब है कि फिलहाल हम अलग-अलग जरियों से 30-35% टैक्स चुकाते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि टैक्स को घटाकर 18% करने से सरकार खर्चा कैसे चलाएगी और इसका क्या फायदा है। इसका जवाब चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमणियन की समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट में दे चुकी है। बता दें कि फिलहाल टैक्स का क्षेत्र इतना असंगठित है कि किसी चीज़ पर बिलकुल टैक्स नहीं लगता तो किसी पर 35% लगता है।

GST से फिलहाल न सरकार का राजस्व बढ़ेगा और न ही घटेगा हालांकि कई सारी चीज़ों पर टैक्स बढ़ जाएगा। समिति के मुताबिक अभी बहुत से कारोबारी सेल्स नहीं दिखाते हैं। जबकि GST में हर लेन-देन की ऑनलाइन एंट्री होगी जिससे टैक्स चोरी पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा।

राज्यों को इससे कुछ नुकसान झेलना पड़ सकता है लेकिन उनको जितना नुकसान होगा तीन साल तक उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। चौथे साल 75 फीसद और पांचवें साल 50 फीसद नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। केंद्र सरकार राज्यों को भरपाई की गारंटी देने के लिए इसके लिए संविधान में भी व्यवस्था करने पर भी तैयार हो गई है।

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