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चीन को करारा जवाब देगा भारत, न्योमा एयरबेस से ड्रैगन को पस्त करने की तैयारी

नई दिल्ली : एलएसी पर चीन की तैयारियों को देखते हुए युद्ध के लिहाज से भारत कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहता। भारत अब न्योमा अडवांस लैंडिंग ग्राउंड को भी फाइटर जेट्स के लिए अपग्रेड करने जा रहा है। भारतीय सेना की तरफ से कई बार कहा जा चुका है कि चीन अप्रत्याशित तरीके से काम करता है। ऐसे में सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। न्योमा एएलजी को अपग्रेड करने में 230 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके तहत एयरस्ट्रिप को 2.7 किलोमीटर बढ़ाया जाएगा और हर तरह के विमानों के संचालन के लिए तैयार किया जाएगा।

एएलजी को रक्षात्माक और आक्रामक संचालन के लिए तैयार किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक मई और जून में यह काम शूरू हो जाएगा। बता दें कि न्योमा एएलजी 13400 फीट की ऊंचाई पर है। चीन की सीमा से इसकी दूरी 50 किलोमीटर से भी कम है। इसे पूरी तरह से अपग्रेड करने के लिए बीआरओ को तीन वर्किंग सेशल लगेंगे। एक अधिकारी ने कहा कि 2025 तक सब कुछ तैयार कर लेना है। बता दें कि न्योमा एएलजी अब भी भारतीय वायुसेना के लिए बहुत उपयोगी जगह है। इसके जरिए एलएसी से 190 किमी दूर लेह को हवाई मार्ग से जोड़ा जाता है। इसके अलावा एलएसी के फॉरवर्ड इलाकों में तैनाती के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। हाल में पूर्वी लद्दाख के पास चीन ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं।

एलएसी के सबसे नजदीक होने की वजह से यह एयरबेस रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। इस एयरबेस को अपग्रेड करने को बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। इस एयरबेस के अपग्रेड होने के बाद लड़ाकू और परिवहन दोनों तरह के विमानों के लिए आसानी होगी और एलएसी पर तैनाती में भी मदद मिलेगी। अगर चीन की तरफ से कोई हरकत की जाती है तो इस एयरबेस के जरिए तत्काल जवाब दिया जा सकेगा।

अभी न्योमा एयरबेस पर अपाचे हेलिकॉप्टर, चिनूक हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर एमआई-17 हेलिकॉप्टर और सी130 जे का संचालन किया जाता है। इनका इस्तेमाल लॉजिस्टिक सप्लाई के लिए किया जाता है। सीमा पर तैनात जवानों को रसद पहुंचाने के लिए इनका इस्तेमाल होता है। लेकिन अपग्रेड होने के बाद यहां से तेजस, मिराज जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ान भरेंगे।

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