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J&K में राष्ट्रपति शासन को मिली मंजूरी, टीएमसी-सपा ने भी किया समर्थन

राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह बढ़ाने वाले सांविधिक संकल्प को आज सर्वसम्मति से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा में सोमवार को जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव का तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा, बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, जदयू समेत कई दलों ने समर्थन किया। पर कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा जैसे दल इसके विरोध में है।

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर प्रस्ताव सदन में चर्चा के लिए पेश किया। शाह ने विधेयक एवं प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने साल के अंत तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने का फैसला किया है और राष्ट्रपति शासन की अवधि मंगलवार को समाप्त हो रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाई जाए।

उन्होंने रमजान, अमरनाथ यात्रा और कुछ समुदायों के सदस्यों के पहाड़ियों पर चले जाने जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां दशकों से अक्तूबर के पहले चुनाव नहीं कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि सदस्य वहां की परिस्थिति समझेंगे और राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।

बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हम इसका समर्थन करते हैं। सरकार अगर चाहेगी तो जम्मू कश्मीर में चुनाव हो जाएंगे, ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार आयोग से विनती करे और उसकी बात न मानी जाए। वाईएसआर कांग्रेस के सांसद विजयसाई रेड्डी ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन की अवधि को नहीं बढ़ाया गया तो राज्य में समस्या पैदा हो जाएगी, क्योंकि इसकी मियाद खत्म हो रही है।

शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि कश्मीर के लोगों की आवाज कमजोर नहीं है और पूरा देश आपके साथ खड़ा है। देश की आवाज भी जम्मू कश्मीर तक पहुंचनी चाहिए। बीजद के प्रसन्न आचार्य ने प्रस्ताव का समर्थन किया और सुझाव दिया कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य के विकास के कार्य जारी रहने चाहिए।

चर्चा के दौरान विपक्ष ने जम्मू कश्मीर में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं कराने को लेकर सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर ने सरकार एवं चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया कि जब लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए जा सकते। उन्होंने मांग की कि राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए। भाकपा के डी राजा और कुछ अन्य सदस्यों ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने से जुड़े अध्यादेश के विरोध में संकल्प पेश किया।

लोकसभा में पास हो चुका है बिल
लोकसभा में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला बिल पास कर दिया गया है। जहां पर कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। फिलहाल सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, ऐसे में देखना होगा सरकार क्या कदम उठाती है। राज्य में दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था।

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