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मप्र : ए-2 दूध उत्‍पादन कर प्रदेश की 500 से अधिक गौशालाएं बनेंगी आत्‍मनिर्भर

मप्र : ए-2 दूध उत्‍पादन कर प्रदेश की 500 से अधिक गौशालाएं बनेंगी आत्‍मनिर्भर
मप्र : ए-2 दूध उत्‍पादन कर प्रदेश की 500 से अधिक गौशालाएं बनेंगी आत्‍मनिर्भर

भोपाल: गाय का दूध सिर्फ अमूल्‍य ही नहीं है बल्‍कि उसका गोबर और गोमूत्र भी बहुत काम का है। इसे ध्‍यान में रखकर मध्‍य प्रदेश में सरकार ने इसके बेहतर उपयोग की कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश में बेसहारा गायों के संरक्षण और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास जारी हैं जिसके तहत 56 गौशालाओं में रिसर्च कार्य हो रहे हैं और अब शेष को आधुनिक बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सरकार का फोकस है कि प्रदेश में ए-2 दूध की उत्‍पादकता को बढ़ाकर पशुपालक और छोटे किसानों को भी आर्थ‍िक रूप से सबल बनाया जा सके। इस समय राज्य में तकरीबन 1300 गौशालाएं हैं, जिनमें 1.80 लाख गायों को रखा गया है।

प्रदेश सरकार इन दिनों सभी गौ-शालाओं में वैज्ञानिक तरीके से गौ-मूत्र से जैविक फिनाइल, कीटनाशक, सीएनजी और गोबर लकड़ी उत्पादन जैसी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर देती दिख रही है । इसी संदर्भ में भोपाल कमिश्नर कवीन्द्र कियावत ने संभाग के सभी जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिले की संचालित सभी गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौकाष्ठ का निर्माण, बायोगैस प्लांट, खाद और गौ-मूत्र से कीटनाशक का निर्माण प्रारंभ कराएं।

साथ ही गौशालाओं के विधिवत संचालन के लिए रणनीति बनाएं और गौशाला की जमीन पर चारागाह विकसित हों। संभागयुक्त ने बंद पड़ी दुग्ध सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने तथा सभी समितियों में 10 प्रतिशत तक सदस्य संख्या बढ़ाकर सुचारु रूप से कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं ।

उन्होंने कहा कि नंदीशाला के सांड वंशीय पशुओं को गौशाला में ही रखा जाए जिससे नस्ल में सुधार हो तथा गायों से दूध का उत्पादन भी लिया जा सके। उनका कहना है कि गोबर से गौकाष्ठ के निर्माण के साथ ही एग्रो से समन्चवय कर बायोगैस संयंत्र लगाकर ग्रामीण आबादी को रसोई गैस उपलब्ध कराई जा सकती है । भूमि आदि की जहां कठिनाई है राजस्व अधिकारियों से समन्वय कर उसे दूर किया जा रहा है ।

उधर, गौमाता के कल्याण के लिए धन जुटाने को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान पहले ही कह चुके हैं कि वह मामूली सा टैक्स लगाने पर विचार कर रहे हैं । इस पैसे का इस्तेमाल गौशालाओं के उत्थान में किया जाएगा।

लिहाजा हम गायों के खातिर छोटी सी राशि टैक्स के रूप में जनता से चाहते हैं। उन्‍होंने कहा है कि राज्य में गौशालाओं के संचालन के लिए जल्द ही कानून लाया जाएगा। इससे पहले, शिवराज ने गौ कैबिनेट की पहली बैठक की अध्यक्षता भी कर चुके हैं । शिवराज ने गाय आधारित अर्थव्यवस्था को प्रदेश में बढ़ावा देने की बात कह रहे हैं।

इन दिनों सरकार गौ संवर्धन के लिए कर रही ये कार्य

सभी पशुपालकों को प्राथमिकता से केसीसी दिलाने पर जोर दिया जा रहा है। किसान क्रेडिट कार्ड से खाद, बीज आदि के लिए आसानी से कर्ज मिल जाता है। प्रदेश सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक मप्र के किसानों के यह कार्ड बन जाएं ताकि वे इसका अधिकतम लाभ अपने रोजमर्रा के कार्य में भी उठा सकें। वैसे केंद्र सरकार ने इस पूरे वित्त वर्ष में 2 लाख करोड़ रुपये का सस्ता कर्ज किसानों को बांटने के लिए रखा है । मप्र इसका अधिकतम लाभ लेना चाहता है।

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वैसे किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज की दर 4 फीसदी है। किसान 4 फीसदी की ब्याज दर पर सिक्योरिटी के बिना 1.60 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं। समय पर भुगतान करने पर, लोन राशि को 3 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। पीएम किसान के लाभार्थियों को 12 रुपये सालाना प्रीमियम पर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत 2 लाख तक बीमा कवर मिलेगा।

इसके अलावा 330 रुपये सालाना प्रीमियम पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत 2 लाख तक का बीमा कवरेज उपलब्ध है। लेकिन यहां खुशी की बात यह है कि मप्र की शिवराज सरकार ने शून्‍य प्रतिशत दर पर किसानों को कर्ज मुहैया कराना तय किया है।

प्रदेश में बढ़ाई जा रही ए-2 दूध की उत्पादकता

इसी तरह से प्रदेश की सरकार पशुओं का शत-प्रतिशत बीमा कराने पर इन दिनों जोर दे रही है। सरकार का प्रयास है कि देसी गायों की संख्‍या बढ़ाकर ए-2 दूध की उत्पादकता बढ़ाई जाए और यह तभी संभव है जब गायों की संख्‍या बढ़े, क्‍योंकि देशी गाए दूध कम देती हैं।

उल्लेखनीय है कि गाय के दूध में बीटाकेजिन और बीटा कैरोटिन नाम के प्रोटीन होते हैं, जिसके कारण गाय के दूध में पीलापन होता है। बीटा कैरोटीन सभी गायों के दूध में पाया जाता है, जो विटामिन का सोर्स माना जाता है। दूसरा बीटाकेजिन में दो प्रकार का प्रोटीन होता है एक ए-1 और दूसरा ए-2। ए-1 प्रोटीन वाला दूध मानव शरीर के लिए हानिकारक पाया गया है, जबकि ए-2 दूध मानव के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया गया है।

बीटाकेजिन ए-1 दूध पीने के बाद यह बीसीएम 7 यानी बीटा कैरोटिन जो मारफिन बनाता है। यह शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इस दूध से बच्चों को डायबिटीज हो सकती है। पाचन तंत्र को खराब करता है। दिल की बीमारी बढ़ाता है। दिमाग को कुंद करता है।

वहीं, दूसरी तरफ ए-2 दूध इसलिए फायदेमंद है क्‍योंकि यह दूध संकर गाय में नहीं देसी गाय में पाया जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है। कैंसर रोग से बचाता है। पाचन तंत्र के लिए लाभदायक है।

इन्हीं गुणों के कारण देसी गाय का दूध बहुत लाभदायक माना गया है। सरकार की एक मंशा कि हर संभव प्रयास कर स्‍वस्‍थ प्रदेश के लिए इसी दूध की उत्‍पादकता प्रदेश में बढ़ाना है। साथ ही गाय के गोबर और मूत्र का भरपूर उपयोग आर्थ‍िक रूप से किसान या पशुपालक को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए करना है ।

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