एनआईएनएल कंपनी अब हुई टाटा समूह की
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब इसका नियंत्रण टाटा समूह की कंपनी टीएसएलपी को सौंप दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने जारी एक बयान में यह जानकारी दी। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में संपन्न हुआ यह दूसरा सफल निजीकरण है। इसके पहले एयर इंडिया को टाटा समूह के ही हाथों में सौंपा गया था।
एनआईएनएल के लिए आमंत्रित की गई बोलियों में टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (टीएसएलपी) को गत जनवरी में विजेता घोषित किया गया था। टाटा समूह की इस इस्पात कंपनी ने घाटे में चल रही एनआईएनएल के लिए 12,100 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। यह बोली 5,616.97 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य से करीब दोगुनी थी। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘एनआईएनएल का रणनीतिक विनिवेश संबंधी सौदा रणनीतिक खरीदार टीएसएलपी को 93.71 प्रतिशत शेयरों का हस्तांतरण होने के साथ ही आज पूरा हो गया है।’’
एनआईएनएल सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों एमएमटीसी, एनएमडीसी, बीएचईएल और मेकॉन के अलावा ओडिशा सरकार की दो इकाइयों ओएमसी और इपिकॉल का संयुक्त उद्यम है। इस इस्पात कंपनी में एमएमटीसी के पास सर्वाधिक 49.78 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जबकि एनएमडीसी के पास 10.10 प्रतिशत, बीएचईएल के पास 0.68 प्रतिशत और मेकॉन के पास 0.68 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं ओडिशा सरकार की कंपनियों के पास क्रमशः 20.47 प्रतिशत एवं 12 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
एनआईएनएल के लिए लगाई गई बोली में टाटा समूह की कंपनी के विजेता बनकर उभरने के बाद 10 मार्च को शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। मंत्रालय ने कहा कि इस समझौते के हिसाब से परिचालन लेनदार, कर्मचारियों और विक्रेताओं के बकाया संबंधी शर्तों को पूरा कर लिया गया है। हालांकि, इस कंपनी में सरकार के पास कोई हिस्सेदारी नहीं होने से इस बिक्री से सरकारी खजाने में कोई वृद्धि नहीं होगी।
इस बीच, बीएचईएल ने बीएसई को दी गई सूचना में कहा कि उसने एनआईएनएल में अपनी 0.68 प्रतिशत हिस्सेदारी टीएसएलपी को बेच दी है और इसे स्थानांतरित कर दिया है। एनआईएनएल के ओडिशा के कलिंगनर स्थित संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 11 लाख टन रही है। हालांकि, यह संयंत्र लगातार घाटे में रहने की वजह से मार्च, 2020 से ही बंद पड़ा है।