अन्तर्राष्ट्रीय

OBOR पर चीन को लगा फिर झटका, इस बार भी भारत ने नहीं किया समर्थन

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे पीएम मोदी ने चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे तगड़ा झटका दिया है.

चीन काफी समय से अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ (OBOR) पर भारत को साधने का प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको बार-बार विफलता का मुंह देखना पड़ता है. इस बार भी ऐसा हुआ और SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया. साथ ही चीन को पारदर्शिता और संप्रभुता के सम्मान करने की नसीहत भी दी.

SCO सदस्य देशों में भारत इकलौता देश है, जो चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं कर रहा है. दरअसल, चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरती है, जिसका भारत कड़ा विरोध करता आ रहा है. भारत इसको अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. भारत का कहना है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है, जहां से उसकी इजाजत के बिना चीन कोई ऐसा निर्माण कार्य नहीं कर सकता है.

SCO शिखर सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के समर्थन को दोहराया, लेकिन भारत ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. मतलब साफ था कि भारत अब भी चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है. फिलहाल इसे चीन की कोशिशों के लिए एक झटका माना जा रहा है.

रविवार को SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर भारत के नजरिए को सामने जरूर रखा, लेकिन उन्होंने चीन की OBOR परियोजना का समर्थन नहीं किया. उन्होंने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर पारदर्शिता और संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही.

पहली बार SCO शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम फिर एक ऐसे मुकाम पर हैं, जहां भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी भूगोल की परिभाषा बदल रही हैं. विशेषकर SCO क्षेत्र और पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत की प्राथमिकता है. हम ऐसे नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों का स्वागत करते हैं, जो समावेशी, पारदर्शी और सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.

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