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मानसून के मौसम में रखें सेहत का ख्याल : डॉ अनुरुद्ध वर्मा

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा

बरसात में संक्रामक बीमारियों से बचने के लिये बरते सावधानी

उमेश यादव: गर्मी के मौसम के बाद मानसून की प्रतीक्षा रहती है, सभी को यही लगता है कि बरसात के मौसम की फुहारों से कुछ राहत मिलेगी परन्तु बरसात का सुहाना मौसम अपने साथ अनेक बीमारियां भी लाता है।

मानसून की शुरुआत हो गई है और बरसात के इस मौसम में कालरा, पेचिस, दस्त, गैस्ट्रोइंट्राइटिस, फूड पाॅयजनिंग, बदहजमी के साथ मलेरिया, वायरल फीवर, डेंगू, चिकुनगुनिया, कन्जेक्टवाइटिस, पीलिया, टाइफाइड बुखार, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फोड़े-फुंसी एवं अन्य अनेक रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। बरसात के इस मौसम में कुछ सावधानियाँ अपनाकर बरसात में होने वाली बीमरियों से बचा जा सकता है।

डॉ अनरुद्ध वर्मा बताते है कि बरसात के मौसम में गंदगी एवं जल-भराव के कारण मच्छर तेजी के साथ पनपते हैं जिससे मलेरिया बुखार का खतरा बढ़ जाता है। मलेरिया बुखार से बचने के लिए आस-पास की साफ-सफाई पर ध्यान दें।आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें जिससे मच्छर न पनप सकें साथ ही मच्छर दानी लगाकर सोना चाहिए।बरसात के मौसम में वायरल फीवर बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है इसलिए इससे बचने के लिए रोगी व्यक्ति से उचित दूरी बनाए रहे। बरसात के मौसम में डेंगू फैलने की सम्भावना ज्यादा रहती है।

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरूद्व वर्मा बताते है कि बरसात के मौसम में पानी के प्रदूषित होने की संभावना ज्यादा होती है। इस मौसम में वैक्टीरिया एवं वायरस भी तेजी के साथ पनपते हैं। भोजन बहुत जल्दी प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित पानी एवं खाने-पीने की चीजों से कालरा, गस्ट्रोइंट्राइटिस, दस्त, पेचिस आदि गंभीर रोग हो सकते हैं। इससे बचाव के लिये साफ पानी पीयें। बासी भोजन, खुले एवं कटे फल, खुली चाट-पकौड़ी एवं भोजन आदि का प्रयोग न करें। खुले में बिकने वाली खाने-पीने की वस्तुओं से बचें। दस्त आदि होने पर तत्काल ओआरएस का घोल लेना प्रारंभ कर दें।

डेंगू बुखार वायरल बुखार है, जो मानसून के दौरान मादा एडिज इजिप्टी नामक मच्छर द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी आना, जोड़ों और मांसपेसियों में ऐंठन और अकड़न, त्वचा पर चक्कते उभरना, शारीरिक कमजोरी एवं थकान आदि के लक्षण होते है। यह लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इससे बचाव के लिये घर के गमलों को अच्छी तरह से साफ करें, घर में पानी न इक्टठा होने दें।जिससे मच्छर न पनप सकें। शरीर पर पूरे कपड़े पहने।

इस मौसम में चिकुनगुनिया बुखार भी काफी फैलता है।इसका वायरस भी एडीज मच्छर की एक प्रजाति द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार, जोड़ों में अकड़न तेज दर्द, यहां तक की चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है। यह दर्द काफी दिन तक रहता है। इससे बचाव के लिये भी मच्छरों से बचाव जरूरी है।

भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए। बरसात के मौसम में पानी में सालमोनेला टाइफी वैक्टीरिया का संक्रमण हो जाता है। जिसके कारण टाइफाइड बुखार हो जाता है। इससे बचाव के लिए पानी उबाल कर पीना चाहिए तथा साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं करना चाहिए।

बरसात के मौसम में पीलिया का खतरा भी बढ़ जाता है। यह हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण के कारण होता है यह संक्रमण भी प्रदूषित भोजन एवं पानी, फल एवं पेय पदार्थों के कारण फैलता है।यह बाजार के खुले एवं पेय पदार्थों के द्वारा फैलता है इससे बचने के लिये बजार के खुले भोजन, कटे फल, प्रदुषित पेय पदार्थों से बचना चाहिए।

बरसात के मौसम में अपच,बदहजमी, गैस,खट्टी डकारें आदि की समस्या हो जाती है, क्योंकि शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है, साथ ही गरिष्ठ भोजन का प्रयोग बढ़ जाता है । इससे बचने के लिये शारीरिक सक्रियता बनाये रखें, साथ ही हल्का व सुपाच्य भोजन करें। बरसात में उमस एवं गंदगी भरे मौसम में बैक्टरिया, पैरासाइट, फंगस आदि त्वचा को संक्रमित कर देते है ।जिसके कारण फोडे़-फुुंसी, खुजली, दाद, फफोले, घमौरी, विषैले फोडे़ आदि की संभावना ज्यादा रहती है।

इससे बचने के लिए गंदे एवं प्रदूषित पानी से बचना चाहिए एवं साफ-सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बरसात के मौसम में नेत्र प्रदाह (कन्जेक्टवाइटिस) ज्यादा तेजी के साथ फैलता है।इसमें आखों में जलन, दर्द, आखों का लाल होना, कीचड़ आना एवं आखों से पानी आने की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए पीड़ित रोगी से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं उसके कपड़ो जैसे रूमाल, तौलिया, के प्रयोग एवं हाथ मिलाने से बचना चाहिए। तेज धूप से बचना चाहिए, आखों को ठंडे पानी से बार-बार धोना चाहिए।

बरसात के मौसम में सर्दी-जुकाम, फ्लू आदि तेजी के साथ फैलता है। इससे बचने के लिए साफ-सफाई एवं व्यक्तिगत सम्पर्क से बचना चाहिए। बरसात के पानी से ज्यादा देर तक भीगने एवं भीगे कपड़े पहने रहने से बदन में दर्द आदि हो सकता है। अगर भीग गए है तो तुरन्त शरीर पोछ लेना चाहिए तथा सम्भव हो तो तत्काल सूखे कपडे़ पहनने चाहिए।

बरसात के मौसम की ज्यादातर बीमारियाँ गन्दगी, संक्रमित भोजन एवं दूषित पानी के कारण फैलती है। इसलिए यदि हम गन्दगी को दूर कर दें एवं प्रदूषित भोजन एवं पानी का प्रयोग न करें। बरसात के मौसम में पानी उबालकर पीयें। पत्तेदार सब्जियों को खाने से बचें।

इस मौसम में सलाद खाने से भी बचें।बारिस के मौसम में तला भुना, पकौड़े, मसालेदार चाट आदि खाने से बचना चाहिए।बरसात के मौसम में सुपाच्य खाना खायें तथा कुछ अन्य सावधानियाँ अपना ले तो बरसात की बीमारियों से बचा जा सकता है।बीमार हो जाने पर तुरन्त प्रशिक्षित चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।बरसात के मौसम की बीमारियों का होम्योपैथी विधि में भी प्रभावी उपचार पूरी तरह से संभव है।

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