मध्य प्रदेशराज्य

छत से गिरने की वजह से फट गई थी धमनी , ह्रदय में डिवाइस लगाकर बचाई किशोरी की जान

कटनी ; छत से गिरने के कारण 16 वर्षीय किशोरी न सिर्फ गंभीर रूप से हार्ट अटैक की चपेट में आई, बल्कि हृदय की धमनी फट गई। धमनी फटने से हृदय में तीन सुराग हो गए, जिसके चलते उसकी सांसें फूलने लगीं।

स्वजन ने किशोरी को बड़ेरिया मेट्रो प्राइम मल्टी स्पेशिएलिटी हास्पिटल में भर्ती कराया। पीडियाट्रिक इंटरवेंशनल कार्डियोलाजिस्ट डा. केएल उमामहेश्वर ने इकोकार्डियोग्राफी वा एंजियोग्राफी जांच से किशोरी के हृदय की धमनी फटने का पता लगाया, जिसके बाद डा. उमामहेश्वर, कार्डियक सर्जन डा. सुधीप चौधरी एवं निश्चेतना विशेषज्ञ डा. सुनील जैन की टीम ने धमनी में हुए तीन छिद्रों को बिना टांका और चीरा लगाए दो छतरियों (चिकित्सा उपकरण डिवाइस) की सहायता से बंद कर दिया। मेट्रो हास्पिटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त जानकारी डा. उमामहेश्वर ने दी।

इस दौरान स्वजन ने बताया कि छत से गिरने के बाद आई शारीरिक समस्या के चलते उन्होंने किशोरी को कटनी के शासकीय व निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। चिकित्सक बीमारी का अंदाजा नहीं लगा पा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने मेट्रो हास्पिटल में उपचार कराने का निर्णय लिया।

डा. उमामहेश्वर ने बताया कि 14 साल की चिकित्सा सेवा में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है। जबकि ऊंचाई से गिरने के कारण न सिर्फ हार्ट अटैक आया, बल्कि धमनी फट गई। हृदय में हुए तीन सुरागों को बंद करना आवश्यक था। सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है, परंतु किशोरी की धमकी के जिस हिस्से में छेद थे वहां ओपन हार्ट सर्जरी करना अत्यंत जटिल व जोखिमपूर्ण था। इसलिए इन छिद्रों को बिना टांका चीरा के बंद करने का निर्णय लिया गया। छतरीनुमा डिवाइस से पैरों के रास्ते से हार्ट तक पहुंच कर छतरीनुमा डिवाइस से लगाकर छिद्र बंद किए गए।

अस्पताल के डायरेक्टर राजीव बड़ेरिया ने कहा कि जटिल शल्य क्रिया को चिकित्सकों ने अनोखी सर्जरी नाम दिया था, क्योंकि आमतौर पर जिन बच्चों के हृदय में जन्मजात छिद्र की समस्या होती है, वहां एक ही छेद पाया जाता है, जिसे डिवाइस लगाकर बंद कर दिया जाता है। कटनी निवासी उक्त किशोरी को ऊंचाई से गिरने के कारण धमनी ने तीन छेद हुए थे। मेट्रो हास्पिटल में हुआ यह आपरेशन मध्य भारत में अपने तरीके का पहला आपरेशन है, जिसमें जिसमें एक ही साथ मरीज के हृदय में दो डिवाइस लगाई गई। आपरेशन के बाद बच्ची पूर्णत: स्वस्थ है, तथा सांस फूलने की समस्या से भी उसे राहत मिल चुकी है। डा. सुधीप चौधरी ने बताया कि 16 वर्ष की उम्र में धमनी फटने के बाद मरीज के जीवन को बचाना काफी मुश्किल होता है। इस तरह की स्थिति में लाखों में से कुछ मरीजों की ही जान बच पाती है।

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