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आज के दिन ही शुऱू हुई थी विद्वानों की सभा “राज्य सभा”

प्रशांत कुमार पुरुषोत्तम

स्तम्भ: भारतीय लोकतंत्र के संविधान के अनुच्छेद एक का उपानुच्छेद एक में वर्णित है कि भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा। यह अनुच्छेद स्वीकार करता है कि संघीय शासन व्यवस्था में राज्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।

अतः संघीय शासन व्यवस्था में राज्य के हितों का ध्यान रखा जाना भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस उद्देश्य की पूर्ति संघीय शासन में संघीय विधायिका का हिस्सा बना कर किया जा सकता है ताकि राज्य के हितों की संघीय स्तर पर रक्षा हो सके। इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भारत नीति नियंताओं ने राज्यसभा का गठन किया।

3 अप्रैल, 1952 को पहली बार उच्च सदन अर्थात् राज्यसभा का गठन किया गया और इसका पहला सत्र 13 मई , 1952 को आयोजित किया गया।

राज्यसभा को भारतीय संसद की ऊपरी प्रतिनिधि सभा या ऊच्च सदन भी कहा जाता है। राज्यसभा में सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 वर्ष में सेवानिवृत होते हैं। राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं, जिनमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 80(3) के तहत् नामांकित किये जाते हैं। इन सदस्यों को नामित सदस्य कहा जाता है। ये नामित सदस्य का निम्नलिखित विषयों के सम्बन्ध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होना आवश्यक है। निम्नलिखित विषय इस प्रकार है : साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा।

राज्यसभा का गठन एक पुनःनिरीक्षण सदन के रूप में किया गया है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनःनिरीक्षण कर सके। यह सदन मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी करती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ इसमें मनोनीत होते हैं।

आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्यसभा द्वारा भी पास होने चाहिए। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। वर्तमान में राज्यसभा के पदेन सभापति श्री वैंकैया नायडू हैं।

राज्यसभा के गठन की पृष्ठभूमि मांटेग्यू चेम्सफोर्ड प्रतिवेदन में देखने को मिलती है। ऐसा माना जाता है कि राज्यसभा काउंसिल ऑफ स्टेट के समान हीं है।

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई थी, ने भी 1950 तक केन्द्रीय विधानमंडल के रूप में कार्य किया, फिर इसे ‘अनंतिम संसद’ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इस अवधि के दौरान, केन्द्रीय विधानमंडल जिसे ‘संविधान सभा’ (विधायी) जिसे आगे चलकर ‘अनंतिम संसद’ कहा गया, 1952 में पहले चुनाव कराए जाने तक, एक-सदनी रहा।

स्वतंत्र भारत में द्वितीय सदन की उपयोगिता अथवा अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई और अन्तत: स्वतंत्र भारत के लिए एक द्विसदनी विधानमंडल बनाने का निर्णय किया गया।

संसद के उच्च सदन राज्य सभा का 250 वां सत्र वर्ष 2019, नवम्बर में सम्पन्न हुआ। राज्य सभा ने पहला विधेयक द इंडियन टैरिफ (द्वितीय संशोधन विधेयक) के रूप में पारित किया था, जो आबादी के हिसाब से सांसदों की संख्या तय करने से संबंधित था। 1952 में संसद का उच्च सदन शुरू हुआ। उस समय 15 महिलाएं राज्यसभा सदस्य थीं। वर्तमान में राज्यसभा में महिला सदस्य 24 हैं और कुल सदस्य 225 हैं।

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