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कृषि कानूनों की वापसी किसानों की जीत – कमल नाथ

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने सरकार पर हमला करते हुए इन कानूनो को वापस लिए जाने का स्वागत किया और इसे किसानों के संघर्ष की जीत बताया।

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने कहा, पिछले वर्ष सितंबर माह में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले एक वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे ,बारिश ,ठंड ,भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे।

उन्होने आगे कहा कि इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई ,किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी ,कई-कई रातें सड़कों पर गुजारनी पड़ी , कभी उन्हें आतंकवादी ,कभी देशद्रोही ,कभी दलाल ,कभी अन्य नामों से संबोधन किया गया लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।

आंदोलन का कांग्रेस द्वारा समर्थन किए जाने का जिक्र करते हुए कमल नाथ ने कहा, कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया ,खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिर एक वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता, सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी। किसान जो सड़कों पर एक वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे,उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी, उससे बचा जा सकता था।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने कानूनों वापस लिए जाने के फैसले पर कहा देश की अहंकारी मोदी सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा । जय जवान जय किसान।

वहीं राज्य के पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा, अहंकारी सरकार द्वारा कृषि कानून को वापस लेना किसानों के संघर्ष की जीत है, तीन काले कानूनों के खिलाफ हम सबने किसानों के साथ मिलकर लम्बी लड़ाई लड़ी है। किसानों को खालिस्तानी – आतंकवादी तक बताया गया था, किसानों के अपमान के लिए सरकार को माफी मांगनी चाहिए। जीता-किसान-हारा-अभिमान।

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