उत्तराखंड

शिव-पार्वती की विवाह स्थली ‘त्रियुगीनारायण’ बनेगा ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’

देहरादून (गौरव ममगाईं)। शिव-पार्वती की विवाह स्थली के रूप में जाना जाने वाला त्रियुगीनारायण मंदिर अब बेस्ट वेडिंग डेस्टिनेशन बनेगा। जी हां, जिस पवित्र स्थल पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, अब वहां आम लोग भी विवाह कर सकेंगे। हिंदू परंपराओं से सादगीपूर्वक विवाह करने वाले लोगों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि शिव-पार्वती की विवाह स्थली पर विवाह करना प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने जैसा होगा। वहीं, इस फैसले को पीएम नरेंद्र मोदी की अपील का असर माना जा सकता है। इससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ‘डेस्टिनेशन उत्तराखंड’ को भी देश-दुनिया में खास पहचान मिलेगी।

 उत्तराखंड चारधाम परिषद की ओर से त्रियुगीनारायण को बेस्ट वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने का फैसला लिया गया है। इसके लिए यहां सामान्य लोगों के हिंदू परंपराओं से विवाह संपन्न कराए जाएंगे। इसके लिए विवाह को इच्छुक लोगों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। वर्तमान में उत्तराखंड में हरिद्वार स्थित शांति कुंज में इस तरह के विवाह होते हैं। यहां उत्तराखंड ही नहीं, देशभर से लोग अपने बच्चों का विवाह कराने पहुंचते हैं। दरअसल, अक्सर देखा जाता है कि कई बड़े परिवार भी चकाचौंध को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चों का विवाह वैदिक परंपराओं से विधि-नियमों का पालन करते हुए संपन्न हो। इसलिए वे इस तरह के वेडिंग डेस्टिनेशन को चुनते हैं। ऐसे में त्रियुगीनाराण जैसे पवित्र स्थल का विकल्प मिलने के बाद देश ही नहीं, विदेश मे रह रहे हिंदू परिवार भी यहां की ओर आकर्षित होंगे।

.. जब ब्रह्मा और विष्णु जी ने निभाई थी बड़ी भूमिका

त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर  पौराणिक काल का है, यहां एक अखंड जोत जलती रहती है। मान्यता है कि इसी अग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव व पार्वती ने विवाह किया था। इस विवाह में ब्रह्मा जी ने पुरोहित की भूमिका निभाई थी और भगवान विष्णु ने मां पार्वती के भाई की भूमिका निभाई।

शिव बारात में नंदी व शिवगण नाचते हुए त्रियुगीनारायण पहुंचे थे। शिव-पार्वती का विवाह त्रियुगीनारायण में होने का स्कंद पुराण, रुद्र संहिता व कई अन्य ग्रंथों में प्रमाण मिलते हैं।

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