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अमेरिका-चीन के ट्रेड वॉर: भारतीय कारोबार पर नुकसान पहुंचने के संकेत!

आयात शुल्क मसले पर चीन के साथ ट्रेड वार जैसे हालात पैदा कर चुके संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) ने जीएसपी के रास्ते भारतीय कारोबार पर वार करने के संकेत दिए हैं। अमेरिका ने कहा है कि वह तीन देशों के साथ अपने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) पात्रता की समीक्षा करेगा। उनमें भारत का नाम प्रमुख है।

जीएसपी अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना कारोबारी प्राथमिकता कार्यक्रम है। अमेरिका ने वर्ष 1976 से जीएसपी के तहत कई विकासशील देशों के लिए अमेरिकी आयात नियम आसान कर रखे हैं, जिनके जरिये उन देशों के हजारों उत्पादों पर अमेरिका में कोई आयात शुल्क नहीं लगाया जाता। बदले में अमेरिका भी अपने उत्पादों के लिए उन देशों में समान व्यवहार की उम्मीद करता है।

वर्तमान में जीएसपी के तहत भारत के 3,500 उत्पादों को अमेरिका में शुल्क मुक्त पहुंच हासिल है। इनमें टैक्सटाइल, इंजीनियरिंग, जवाहरात, जेवर और रासायनिक उत्पाद शामिल हैं। पिछले वर्ष अमेरिका में जीएसपी के तहत 2,120 करोड़ डॉलर (करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये) का आयात हुआ। इसमें सबसे ज्यादा 560 करोड़ डॉलर (36,400 करोड़ रुपये) मूल्य का आयात भारत से ही हुआ था।

अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधियों (यूएसटीआर) के मुताबिक भारत के लिए जीएसपी पात्रता की समीक्षा की वजह यह है कि भारत ने कई अमेरिकी उत्पादों के आयात के लिए भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया हुआ है। अमेरिका के डेयरी और मेडिकल डिवाइस उद्योग ने भारत को जीएसपी के तहत मिल रही सुविधाओं पर पुनर्विचार की याचिका दी हुई है। इन उद्योगों का आरोप है कि भारत में उनकी तरफ से किए जा रहे निर्यातों पर कई तरह की पाबंदियां हैं।

डिप्टी यूएसटीआर जेफ्री जेरिश ने कहा कि दुनियाभर में मुक्त और वाजिब कारोबार का वातावरण सुनिश्चित करने की ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता में जीएसपी का बेहद महत्वपूर्ण योगदान है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी वजह से जीएसपी का लाभ उठा रहे मौजूदा देशों के अलावा लाभ उठाने के इच्छुक देशों के लिए भी पात्रता शर्तो की समीक्षा का फैसला किया है। अमेरिका के मुताबिक जीएसपी नवीकरण की तिथि 22 अप्रैल तक है और यह वर्ष 2020 के अंतिम दिन तक लागू रहेगा।

 

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