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कच्चे तेल का भाव गिरने का फायदा उठाने में जुटा चीन

बीजिंग: कच्चा तेल की वैश्विक कीमतों में आयी रिकॉर्ड गिरावट का फायदा उठाकर चीन अपना भंडार बढ़ाने में जुटा हुआ है। कोरोना वायरस महामारी के कारण वाहनों का आवागमन तथा कारखानों का परिचालन पूरी तरह से बंद रहने के बाद भी चीन का कच्चा तेल का आयात मार्च महीने में सालाना आधार पर 4.5 प्रतिशत बढ़ा है।

साल की पहली तिमाही के दौरान चीन का कच्चा तेल आयात साल भर पहले की तुलना में पांच प्रतिशत बढ़ा है। फिच सॉल्यूशंस के वरिष्ठ विश्लेषक (तेल एवं गैस) पीटर ली ने कहा, इन सब के बाद भी चीन का कच्चा तेल आयात बढ़ता रहा है। कम कीमत से उन्हें भंडार बढ़ाने में मदद मिल रही है। कुछ खबरों में चीन के शिपबिल्डिंग उद्योग के संगठन के हवाले से कहा गया है कि चीन ने मध्य मार्च में कच्चा तेल लाने के लिए 84 टैंकर को सऊदी अरब भेजा। इनमें से हर टैंकर की क्षमता 20 लाख बैरल कच्चा तेल ढोने की है।

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक व न्यायिक आयोग ने सोशल मीडिया पर कहा, कच्चा तेल की कीमतें कम होने का चीन के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि वूड मैकेंजी के उद्योग विश्लेषक मैक्स पेट्रोव का मानना है कि कच्चा तेल की कीमतें कम होने से ईंधन के मामले में चीन के आत्मनिर्भर बनने की योजना पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चीन की सरकारी तेल कंपनी पेट्रो चाइना को ठीक-ठाक नुकसान हो रहा है। ऐसे में पेट्रो चाइना को अब यह तय करना है कि क्या वी पश्चिमी देशों की तेल कंपनियों की तर्ज पर नये कुओं की खोज में लगने वाले पैसे में कमी लाती है।

यदि वह ऐसा करती है तो नए कुओं के उत्पादन की स्थिति में आने में लंबा वक्त लग सकता है। पीटर ली के अनुसार, चीन का आधिकारिक भंडार करीब 38.5 करोड़ बैरल का है। उन्होंने कहा कि चीन की योजना इसे बढ़ाकर 50 से 60 करोड़ बैरल करने की है।

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