कौन है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की नई प्रत्याशी!
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बार्बी डॉल को इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल दिखाया गया है। कंपनी इस बार बाजार में जुड़वां बार्बी डॉल उतारेगी। एक राष्ट्रपति पद की तो दूसरी उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर पेश की जाएगी।
वैसे, ये पहली बार नहीं है कि बार्बी ने कोई नया रूप धरा है। बाजार में आने के करीब साठ सालों के दौर में बार्बी ने हजारों रूप लिए हैं। सैकड़ों बार अपना चेहरा और लुक बदला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार के तौर पर बार्बी को पेश करने का आइडिया इसे बनाने वाली कंपनी मैटेल के अध्यक्ष रिचर्ड डिक्सन का है।
रिचर्ड कहते हैं कि अपनी ऊंची एड़ियों वाली सैंडिल छोड़कर, बार्बी ने हकीकत की जमीन पर पांव रखा है। उसके मेकओवर का ही नतीजा है कि आज बार्बी, अपने खास डील-डौल के बजाय आम महिलाओं जैसी दिखने की कोशिश कर रही है।
उसके तीन अवतार बाजार में आए हैं। इनमें से एक में वो लंबी है, दूसरे में छरहरी जबकि तीसरे में सुडौल बदन के साथ दिखी है।
आज ट्विटर पर बार्बी नाम से ट्रेंड करने के लिए हैशटैग #TheDollEvolves चलाया जा रहा है। इसका नारा है, लोगों की कल्पनाएं कई तरह की होती है। बार्बी उन कल्पनाओं पर खरा उतरने की कोशिश कर रही है।
इसीलिए बाजार में आई है, हेलो बार्बी। जिसमें मशीनी दिमाग है। जो लोगों से बात कर सकती है। इस पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले साल नवंबर में कवर स्टोरी भी की थी। शीर्षक दिया गया था, ‘अब मेरे पास दिमाग है!’
बार्बी डॉल की कल्पना रूथ हैंडलर नाम की एक महिला ने की थी। वो मैटेल कंपनी के सह-संस्थापक एलियट हैंडलर की पत्नी थीं।
फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर लेस आर्ट्स डेकोरैटिफिस म्यूजियम में बार्बी डॉल की पूरी दुनिया बसती है। यहां बार्बी के अब तक के हर अवतार को लोग देख सकते हैं।
रूथ की बेटी का नाम बारबरा था। वो कागज की गुड़िया से खेल रही थीं। तभी रूथ को औरतों जैसी डॉल बनाने का खयाल आया। उन्होंने सोचा कि गुड़िया कोई बच्ची ही क्यों हो, कोई जवां महिला क्यों नहीं? बाद में बारबरा के नाम पर ही बार्बी डॉल को उसका नाम मिला।
हैंडलर के इस आइडिया को पहले-पहल किसी ने पसंद नहीं किया। मगर 1956 में जब स्विटजरलैंड के दौरे पर गईं तो रूथ ने देखा कि जर्मन अखबार बिल्ड ने एक कॉमिक किरदार गढ़ा है, जिसका नाम था लिली।
लिली बेहद मजेदार कैरेक्टर थी। वो अक्सर मुसीबत में फंस जाती थी और फिर अपने लटके-झटकों से उस मुसीबत से छुटकारा पाती थी।
जिस वक्त तक रूथ हैंडलर की बार्बी की कल्पना साकार हुई, उस वक्त तक उनकी बेटी बारबरा की शादी हो चुकी थी। इसी के बाद बार्बी को 1959 में बाजार में उतारा गया। उसका पूरा नाम था बारबरा मिलिसेंट रॉबर्ट्स।
उसकी आंखों का रंग बिल्लियों जैसा था। तो उसने छल्ले वाली ईयररिंग पहनी हुई थीं और उसकी चप्पलें पतली एड़ियों वाली थीं। इसे लोगों ने खूब पसंद किया।
उसके बाद से बार्बी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज पेरिस में बार्बी की नुमाइश में उसके कपड़ों के सात हजार डिजाइनों की प्रदर्शनी देखी जा सकती है।
1959 में बाजार में आने के दो साल बाद ही बार्बी के ब्वॉयफ्रैंड के तौर पर केन को बाजार में उतारा गया। केन नाम, बारबरा के भाई का था।
जल्द ही बार्बी की शोहरत इतनी हो गई कि उसके नाम पर किसी भी हॉलीवुड स्टार से ज्यादा चिट्ठियां आने लगीं। एक हफ्ते में बार्बी के नाम के करीब बीस हजार खत आते थे।
साठ के दशक में बार्बी और उसके परिवार पर आधारित एक छोटा सा उपन्यास भी लिख डाला गया। फिर टीवी के लिए, बार्बी पर आधारित एक एनिमेशन फिल्म भी बनी। बार्बी की अलग ही दुनिया बसा दी गई थी।
फिर उसके तमाम विकल्पों के तौर पर काले रंग की बार्बी की कजिन भी बाजार में उतारी गई। इसका नाम कलर्ड फ्रैंसी था। हालांकि ये बुरी तरह नाकाम रही।
जब मैटेल ने क्रिस्टी के नाम से काले रंग की बार्बी बाजार में उतारी तो, इसे खूब पसंद किया गया। ये वो दौर था जब अमेरिका में काले लोगों के अधिकारों के लिए आंदोलन चल रहा था।
बार्बी का पहला मेकओवर साठ के दशक में ही हुआ। जब उसके बालों को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी की पत्नी जैकी कैनेडी की तरह का बबल कट दिया गया।
जैसे-जैसे समाज में औरतों के रोल बदले बार्बी कामकाजी, आजाद होने लगीं, गाड़ियां चलाने लगीं, छोटे कपड़े पहनने लगीं।
बार्बी का रंग-रूप भी बदलता गया। कभी उसकी आंखों की पुतलियां खुलीं। फिर उसके पैर मुड़ने लगे। और फिर लचकती कमर वाली बार्बी भी बाजार में आई।
1971 में मैलिबू बार्बी के नाम से इसका नया अवतार बाजार में आया। जिसमें इसके चेहरे की बनावट से लेकर बाल तक सबकुछ बदला हुआ था।
पहली बार लोगों को उसके चमकीले, सफेद दांत भी देखने को मिले। पहले वो नजर चुराती मालूम होती थी। मगर मैलिबू गर्ल लोगों की आंख में आंख डालकर बातें करती दिखती थी।
बार्बी की बनावट हमेशा से चर्चा का विषय रही है। अभी साल 2011 में हफिंगटन पोस्ट की गैलिया स्लेयन ने इसके बारे में लिखा। गैलिया ने कहा कि अगर बार्बी असल जिंदगी की कोई औरत होती तो वो पांच फुट नौ इंच लंबी होती। उसका बस्ट 39 इंच का होता और कमर 18 इंच की और हिप्स 33 इंच के होते। ऐसी सूरत में वो दो पैरों पर चल ही नहीं पाती। उसे घुटनों के बल चलना पड़ता।
मशहूर अमेरिकी पत्रिका, टाइम ने भी मजाकिया लहजे में बार्बी पर एक लेख छापा। इसकी हेडिंग थी, ‘नाऊ, कैन वी स्टॉप टाकिंग अबाउट माय बॉडी’। बार्बी के बदन की ही तरह इसके हजारों चेहरे भी देखने को मिले हैं। पेरिस के लेस आर्ट्स डेकोरैटिफिस में बार्बी के ऐसे कई रंग रूप देखने को मिल सकते हैं।
पिछले साठ सालों में बार्बी के बिंदास रंग रूप की ही तरह इसका पेशा भी खूब बदला है। कभी वो मैकडोनाल्ड के रेस्तरां की कैशियर बनी तो कभी फुटबाल कोच और कभी कंप्यूटर इंजीनियर।
साठ के दशक में जब इंसान ने चांद पर कदम रखा तो बाजार मे एस्ट्रोनॉट बार्बी भी आई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में तो वो 1992 से ही शिरकत कर रही है। तब किसी महिला उम्मीदवार का नामोनिशां तक नहीं था।
पेरिस के म्यूजियम की एनी मोनियर कहती हैं कि बार्बी के बारे में अच्छी खबरें कम ही चर्चा में आती हैं। जैसे कि कैंसर के शिकार बच्चों के लिए बनी एला बार्बी जिसके सिर से बाल गायब थे।
वो महिलावादी है। मगर उसे ग्लैमरस गर्ल के तौर पर ही ज्यादा जाना जाता है। वो किसी भी पेशे को चुनने के लिए आजाद है। एनी अपने म्यूजियम में ही बार्बी के तमाम अवतार दिखाती हैं, एनी कहती हैं कि बार्बी ने हमेशा बदलते वक्त के साथ कदम मिलाया है। वो फैशन मॉडल भी रही है और हॉलीवुड की हीरोइन भी। उसने दुनिया की ताकतवर महिलाओं जैसे ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से प्रेरणा ली है।
एनी मोनियर कहती हैं कि बार्बी बहुत सारे विवादों में फंसी है। इनमें से ज्यादातर उसके फिगर को लेकर उठे विवाद थे। लेकिन, याद रहे कि आखिर में बार्बी महज एक खिलौना है।