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गिरफ्तारी की डर से अंडर ग्राउंड हुए प्रवीण तोगड़िया

अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया को प्रशासन से अयोध्या यात्रा निकालने की इजाजत नहीं मिली है। इसके बाद से वे भूमिगत हो गये हैं। उनके एक समर्थक ने बताया कि सरकार की इच्छा के विरुद्ध वे अयोध्या में एक यात्रा निकालने के लिए संकल्प ले चुके हैं, इसीलिए अपनी गिरफ्तारी की आशंका के कारण वे भूमिगत हो गये हैं। इस समय उनका मोबाइल भी बंद जा रहा है। वे अपने कुछ बेहद करीबी लोगों के ही सम्पर्क में हैं। दरअसल, प्रवीण भाई तोगड़िया राममंदिर निर्माण के लिए 21 अक्टूबर से लखनऊ से अयोध्या के लिए एक यात्रा निकालने वाले थे। उन्होंने इसके लिए प्रशासन से इजाजत भी मांगी थी। लेकिन कानून-व्यवस्था खराब होने की आशंका के चलते उन्हें इजाजत नहीं दी गयी।

हालांकि एक जानकारी के मुताबिक़ इसके बाद भी तोगड़िया अपने समर्थकों के साथ यात्रा निकाल सकते हैं। इसके लिए उनके कुछ समर्थक अभी से अयोध्या के आसपास पहुंच गये बताये जा रहे हैं। किसी अनहोनी को रोकने के लिए प्रशासन ने अयोध्या के आसपास के इलाकों में धारा 144 लगा दिया है। आरएसएस के आनुसांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद् के प्रमुख के रूप में रहते हुए तोगड़िया ने लम्बे समय तक राममंदिर निर्माण के लिए आन्दोलन चलाया था। लेकिन बाद में उन्हें विहिप से अलग होना पड़ा।
तोगड़िया ने इसके लिए सीधे प्रधानमन्त्री और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने मोहन भागवत पर राममंदिर मुद्दे पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार के बनने के बाद मन्दिर निर्माण के लिए उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से सम्पर्क किया था।

पहले तो उन्हें कुछ दिन चुप रहने के लिए कहा गया था, लेकिन बाद में भागवत ने इस मुद्दे पर अपना रुख बदल लिया। तोगड़िया के मुताबिक अब आरएसएस को राममंदिर की याद महज इसलिए आ रही है क्योंकि चुनाव आने वाले हैं जिसमें भाजपा की स्थिति बेहद नाजुक है। हालांकि खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में सरकार से मंदिर बनाने के लिए संसद में कानून बनाने की मांग की है। इसके बाद आरएसएस के ही एक अन्य नेता इन्द्रेश कुमार ने शुक्रवार को सरकार से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की भी मांग की है।

5 अक्टूबर को दिल्ली में हुई सन्तों की विशेषाधिकार समिति की बैठक में भी सरकार से इस मुद्दे पर कानून बनाने की मांग की गई थी। हालांकि भाजपा ने इस मुद्दे पर अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही अपना आधार मानने की बात कही है जहां मन्दिर मुद्दे पर 29 अक्टूबर से अंतिम दौर की सुनवाई शुरू होनी है।

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