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‘गिव इट अप’ सफल होने के बाद नई स्कीम लाने की तैयारी में रेलवे

नई दिल्ली : वरिष्ठ नागरिकों के बीच ‘गिव इट अप’ यानी सब्सिडी छोड़ने की स्कीम सफल होने के बाद रेलवे ने फैसला किया है कि अन्य कैटगरी में भी ये स्कीम लाई जाएगी। यानी अगर लोग चाहें तो वह खुद को दी जाने वाली सब्सिडी का एक हिस्सा छोड़ सकते हैं।
कई जरूरतमंद नागरिकों को रेलवे टिकट बुकिंग में 100 फीसदी तक छूट देता है तो कुछ को 25 फीसदी, कैंसर के मरीज अगर अकेले या किसी साथी के साथ ट्रीटमेंट या चेकअप कराने के लिए ट्रैवल कर रहे हैं तो उन्हें फर्स्ट क्लास, सेकंड क्लास और एसी चेयर कार के टिकट खरीदने पर 75 फीसदी की छूट मिलेगी, वहीं, थर्ड एसी और स्लीपर में 100 फीसदी की छूट दी जाएगी। फर्स्ट एसी और सेकंड एसी के लिए 50 फीसदी की छूट मिलेगी। हृदय, किडनी और थैलासीमिया के मरीजों को भी इलाज या चेकअप के लिए यात्रा करने पर छूट दी जाती है, इन्हें भी फर्स्ट एसी और सेकंड एसी के लिए 50 फीसदी की छूट मिलेगी, जबकि फर्स्ट क्लास, सेकंड क्लास और एसी चेयर कार में 75 फीसदी, एस्कॉर्ट के रूप में साथ जाने वाले यात्री को भी बराबर छूट मिलती है, एड्स मरीज को भी कुछ लाभ मिलता है। युद्ध में विधवा हुईं महिलाएं अगर किसी भी उद्देश्य से ट्रैवल कर रही हैं तो उन्हें सेकंड और स्लीपर क्लास में 75 फीसदी की छूट मिल सकती है, पुलिस के जवानों की विधवाएं और पैरामिलिट्री सुरक्षा बल (जो आतंकी कार्रवाई में शहीद हुए हों) की विधवाओं को भी ये लाभ मिल सकता है।
विकलांग जो बिना किसी एस्कॉर्ट के ट्रैवल नहीं कर सकते, अंधे व्यक्ति या दिमागी रूप से कमजोर शख्स को फर्स्ट एसी और सेकंड एसी में 50 फीसदी की छूट मिलती है, जबकि थर्ड एसी और चेयर कार में 25 फीसदी छूट प्राप्त कर सकते हैं। पुरुष (60 साल या इससे अधिक) और महिलाएं (58 साल या इससे अधिक) को भी वरिष्ठ नागरिक के तौर पर क्रमश: 40 फीसदी और 50 फीसदी छूट हर क्लास में दी जाती है। छात्रों को भी घर जाने और एजुकेशनल टूर के लिए सेकंड क्लास और स्लीपर क्लास में 50 फीसदी (जनरल कैटगरी) तक छूट प्राप्त है। एससी-एसटी कैटगरी के छात्रों को 75 फीसदी तक छूट मिलती है।ऑनलाइन टिकट खरीदने पर सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों को ही छूट मिल सकती है, अन्य कैटगरी में छूट लेने के लिए रेलवे के बुकिंग काउंटर से टिकट खरीदना होता है। टिकट में छूट लेने के लिए लोगों को रिजर्वेशन के वक्त एक फॉर्म भी भरना होता है, इसके साथ ही उन्हें संबंधित क्लेम का सर्टिफिकेट भी देना पड़ता है।

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