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गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की होगी जांच, योगी सरकार इसकी जांच सीबीआई से कराने की तैयारी में है

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की न्यायिक जांच में घोटाला सामने आने के बाद यूपी सरकार अब इसकी जांच सीबीआई से कराने की तैयारी में है।
गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की होगी जांच, योगी सरकार इसकी जांच सीबीआई से कराने की तैयारी में है

न्यायिक जांच की रिपोर्ट पर ठोस कार्यवाही के लिए सरकार ने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।

यह कमेटी 15 जून तक सीएम को रिपोर्ट सौंपेगी कि किस अफसर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। सूत्रों की मानें तो कमेटी सीबीआई जांच की सिफारिश करने जा रही है।

रिटायर्ड जस्टिस आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली न्यायिक कमेटी ने इस परियोजना में भ्रष्टाचार के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव समेत परियोजना से जुड़े आला अफसरों और सिंचाई विभाग के कई इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराया है।

कद्दावर नेता भी घोटाले में बताए जा रहे हैं लिप्त

पिछली सरकार से जुड़े एक कद्दावर नेता भी घोटाले में लिप्त बताए गए हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही के लिए बनाई गई कमेटी में राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार व प्रमुख सचिव, वित्त अनूप चंद्र पांडेय सदस्य, प्रमुख सचिव, न्याय रंगनाथ पांडेय बतौर सदस्य सचिव शामिल किए गए हैं।

कमेटी तय करेगी कि भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए या उसके साथ-साथ एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। वह मामले की जांच सीबीआई से कराने पर भी सुझाव देगी।

सिंचाई विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि मामले की सीबीआई जांच कराने का फैसला ले लिया गया है। कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही राज्य सरकार केंद्र से इसकी सिफारिश कर देगी।

गोमती रिवर फ्रंट एक नजर में

– 1513 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था सपा सरकार ने

– 1437 करोड़ रुपये रकम जारी कर दी थी

– 95 फीसदी रकम जारी करने के बावजूद 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं

– 900 करोड़ की और डिमांड की थी सिंचाई विभाग ने

यह गड़बड़ियां मिलीं
– टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई

– अधिकतर चीजें बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदी गईं।

– बेहिसाब खर्च किया गया।

– कार्रवाई: शुरुआती जांच में ही गड़बड़ियां मिलने पर सरकार ने प्रोजेक्ट से जुड़े एक सहायक अभियंता को निलंबित कर दिया था।

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