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देश के विभिन्न वित्तीय संस्थानों में लावारिस पड़े हैं 70 हजार करोड़ रुपये, नहीं है कोई दावेदार

नई दिल्ली : विभिन्न संस्थाओं में 70 हजार करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। इतनी बड़ी रकम का कोई दावेदार ही नहीं है। इसकी वजह यह है कि कई लोग शेयर खरीदकर, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स या बैंक खातों में जमा कर या फिर इंश्योरेंस खरीद कर भूल गए। दूसरी वजह यह है कि कई लोगों ने पैसे जमा करने शुरू किए, लेकिन मच्योरिटी तक निवेश बरकरार नहीं रख पाए। इसी तरह, कुछ लोगों की मौत हो गई और उनके परिवारों को जमा रकम की जानकारी ही नहीं है। इन परिस्थितियों में ही अलग-अलग जगहों पर जमा रकम को कोई दावेदार सामने ही नहीं आ रहा है। भारतीयों ने सिर्फ एक कंपनी, पीयरलेस जनरल फाइनैंस ऐंड इन्वेस्टमेंट में पैसे निवेश कर भूल गए। 15 साल में उनके निवेश की रकम बढ़कर 1,514 करोड़ रुपये हो चुकी है। 15 साल पहले कंपनी ने छोटे निवेशकों को डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स बांटकर 1.49 करोड़ रुपये जुटाए थे। तब 51% डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स 2,000 रुपये या इससे कम भाव पर जारी किए गए थे। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने इसी सप्ताह बताया कि यह रकम अब सरकार के अधीन इन्वेस्टर एजुकेशन ऐंड प्रॉटेक्शन फंड में ट्रांसफर कर दी गई है। आईईपीएफ में 7 वर्षों में लावारिस पड़ी कंपनियों के घोषित लाभांश और शेयर ट्रांसफर किए गए हैं। इस फंड में कुल 4,138 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। इसके अलावा, यहां कंपनियों ने 21,232.15 करोड़ रुपये मूल्य के 65.02 करोड़ शेयर भी जमा हैं। 24 जीवन बीमा कंपनियों के पास बीमाधारकों के 16,000 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। इसका 70 प्रतिशत यानी कुल 10,509 करोड़ रुपये सिर्फ एलआईसी के बीमाधारकों के है। यह आंकड़ा 31 मार्च, 2018 का ही है। वहीं, 24 गैर-जीवन बीमा कंपनियों के पास पड़े 848 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डिपॉजिटर एजुकेशन ऐंड अवेयरनेस फंड (डीईए फंड) उन बैंक खातों पर कब्जा कर लेती है जिन पर 10 वर्षों तक कोई दावा नहीं करता। जून 2018 तक ऐसे लावारिस पड़े बैंक अकाउंट्स से डीईए फंड को 19,567 करोड़ रुपये मिल गए थे। देश के विभिन्न डाक घरों में जमा 9,395 करोड़ रुपये के दावेदार सामने नहीं आ रहे हैं। लोगों ने डाक घर योजना के तहत पैसे जमा किए, लेकिन मच्योरिटी पीरियड के बाद भी कई दावेदार नहीं आए। कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने छोटी-छोटी बचत योजनाओं में पैसे जमा कराने तो शुरू किए, लेकिन कुछ दिनों पर जमा कराना बंद कर दिया। वे लोग अपनी जमा रकम वापस लेने भी नहीं आए। ऊपर की कुल रकम को जोड़ा जाए तो यह 70 हजार करोड़ रुपये पर पहुंचती है। इन निवेशों में ज्यादातर लावारिस पड़े हैं क्योंकि कई निवेशकों की मौत हो चुकी है और उनके परिवार को इसकी जानकारी नहीं है या फिर वे अपना दावा साबित ही नहीं कर पा रहे हैं।

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