राजनीतिराष्ट्रीय

मंत्रिमंडल विस्तार से बढ़ी महेंद्र नाथ पांडेय की चुनौती, आते ही संगठनात्मक ढांचा दुरुस्त करना होगा

भाजपा के कई पदाधिकारियों के योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बन जाने के कारण संगठनात्मक कामकाज से उनका ध्यान बंट गया था।
पार्टी के दो प्रदेश उपाध्यक्षों शिवप्रताप शुक्ल तथा डॉ. सत्यपाल सिंह के रविवार को मोदी मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में मंत्री बन जाने से संगठनात्मक  कामकाज संभालने वाले पदाधिकारियों की और कमी हो गई।

जानिए कितना ताकतवर है उत्तर कोरिया ने किया हाईड्रोजन बम का परीक्षण

मंत्रिमंडल विस्तार से बढ़ी महेंद्र नाथ पांडेय की चुनौती, आते ही संगठनात्मक ढांचा दुरुस्त करना होगाइसके चलते भाजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को आते ही सबसे पहले संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त करने में जुटना पड़ेगा। तभी वह आगे की चुनौतियों से निपटने के लिए कदम बढ़ा पाएंगे।

दरअसल, दयाशंकर सिंह को हटाए जाने के बाद से ही प्रदेश उपाध्यक्ष का एक पद खाली चल रहा है। उपाध्यक्ष धर्मपाल सिंह, आशुतोष टंडन और सुरेश राणा योगी सरकार में मंत्री बनाए जा चुके हैं।

बचे हुए उपाध्यक्षों में शिवप्रताप शुक्ल और डॉ. सत्यपाल को मोदी ने मंत्री बनाकर अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया। महामंत्रियों में भी अनुपमा जायसवाल और स्वतंत्र देव सिंह योगी सरकार में मंत्री बन चुके हैं।

इसी तरह प्रदेश कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल भी प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं। भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष स्वाति सिंह भी योगी सरकार में मंत्री हैं।

प्रदेश मंत्रियों में गीता शाक्य को औरैया के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है जबकि मंजू दिलेर राष्ट्रीय सफाई आयोग की सदस्य बन चुकी हैं।

यह भी है वजह

जाहिर है कि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष पांडेय चाहकर भी टीम बनाने के काम में इंतजार नहीं कर सकते। कारण, पार्टी में उपाध्यक्ष के छह, प्रदेश महामंत्री के दो तथा प्रदेश मंत्री के दो पद खाली होने के साथ अन्य संबद्ध संगठनों का ढांचा भी आधा-अधूरा पड़ा है।

यह स्थिति उनकी संगठनात्मक सक्रियता में आड़े आएगी। अगर वे इस मोर्चे पर तुरंत सक्रिय नहीं होंगे तो आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

वैसे तो उनके सामने पूरी टीम को ही नए सिरे से बनाने का भी विकल्प मौजूद है, पर इस काम में लगने वाले वक्त को देखते हुए वह चाहें तो मंत्री बन चुके पदाधिकारियों की जगह अपने भरोसे के लोगों को लाकर काम चला सकते हैं।

सहवाग: इन दो खिलाड़ियों को टीम में ले लिया जाये तो भारतीय टीम को हराना नामुमकिन है

कारण यह भी

नवंबर में निकाय चुनाव होने हैं। भाजपा के लिहाज से इन चुनावों का विशेष महत्व है। स्वाभाविक रूप से न तो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और न खुद पांडेय चाहेंगे कि इन चुनावों को लेकर किसी स्तर पर लापरवाही हो।

कारण, यह भी है कि अध्यक्ष के रूप में निकाय चुनाव पांडेय की पहली बड़ी परीक्षा होंगे। इसमें पास होने पर ही उनकी आगे की राह मजबूत बनेगी।

साथ ही उनकी संगठनात्मक क्षमता का प्रमाण लोगों को मिलेगा। अध्यक्ष बनने के बाद पांडेय पहली बार सोमवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं। 

 

Related Articles

Back to top button