दस्तक-विशेषराष्ट्रीय

मानवता पर सबसे बड़ा कलंक है परमाणु हमला!

अब हिरोशिमा और नागासाकी जैसी घटनाएं दोहराई न जायें!

– डा0 जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक
प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

आज के युग की परिस्थितियाँ ऐसी हैं, जिनमें मनुष्य तबाही की ओर चलता चला जा रहा है। अभी तक दो महायुद्ध हो चुके हैं और अब तीसरा महायुद्ध हुआ तो दुनिया का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा, क्योंकि वर्तमान में इतने घातक शस्त्र बन चुके हैं जो आज दुनिया में कहीं भी चला दिए गए तो एक परमाणु बम पूरी दुनिया को समाप्त कर देने के लिए काफी है। नागासाकी और हिरोशिमा पर तो आज की तुलना में छोटे-छोटे दो छोटे बम गिराए गए थे। आज उनकी तुलना में कई गुनी ताकत के बम बनकर तैयार हैं। इनमें से यदि एक भी बम चला तो करोड़ों आदमी तो वैसे ही मर जाएँगे, बाकी बचे आदमियों के लिए हवा भी जहर बन जाएगी। जहरीली हवा, जहरीला पानी, जहरीले अनाज और जहरीले घास-पात को खा करके आदमी जिंदा नहीं रह सकता। तब सारी दुनिया के आदमी खत्म हो जाएँगे। मानवता के विनाश के लिए तैयार किए गये घातक हथियार, एटमबम, रासायनिक व जैविक हथियार आदि विज्ञान की ही तो देन है और इन सबका आविष्कार विश्व के महानतम वैज्ञानिकों ने किया है।

एटम बमों के जोर पर ऐठी है यह दुनिया

विज्ञान की प्रगति इस युग की अभूतपूर्व उपलब्धि है। प्रकृति की शक्तियों को हाथ में लेने की क्षमता शायद ही कभी इतनी बड़ी मात्रा में मनुष्य के हाथ आई हो। विज्ञान दुधारी तलवार है। इससे जहाँ स्वर्गोपम सुख-शांति की प्राप्ति की जा सकती है, वहाँ ब्रह्मांड के इस अप्रतिम सुंदर ग्रह को-पृथ्वी को, चूर्ण-विचूर्ण करके भी रखा जा सकता है। अज्ञानतावश मानव आज उसी दिशा में बढ़ रहा है। हाइड्रोजन और एटम अस्त्रों की इतनी बड़ी मात्रा उसने सर्वनाश के लिए ही सँजोई है। इस बारूद में कोई अज्ञानी किसी भी क्षण आग लगा दे तो मानवीय अरमानों से सँजोई, सींची हुई दुनिया क्षण भर में धूलिकण बनकर किसी नीहारिका के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगेगी। विश्व का ऐसा दुःखद अंत काल्पनिक नहीं, वर्तमान परिस्थितियों में उस स्तर का खतरा पूरी तरह मौजूद है।

युद्ध में फंसी हुई दुनिया एकता एवं शांति के अमृत की प्यासी

वर्तमान में एटम बम के अलावा 22 प्रकार के अन्य बमों का निर्माण विभिन्न देशों के द्वारा किये जा चुके हैं, जो बहुत ज्यादा भयानक एवं खतरनाक हैं। ये बम इतने ज्यादा खतरनाक है जिनके द्वारा पूरे विश्व का खात्मा कई बार किया जा सकता है। धर्म, जाति, रंग-भेद के कारण युद्धों के जाल में फंसी हुई दुनिया एकता एवं शांति के अमृत की प्यासी है। सर्वनाश का जो खतरा दुनिया के सिर पर झूल रहा है, उससे बचने का इसके सिवा दूसरा कोई मार्ग नहीं है कि हृदय की एकता को उसमें समाये हुए सारे अर्थो के साथ साहसपूर्वक और बिना किसी शर्त के स्वीकार कर लिया जाय। अगर हथियारों के लिए आज की पागलभरी दौड़, स्पर्धा, जारी रही, तो निश्चित रूप से उसका परिणाम ऐसे मानव-संहार में आयेगा, जैसा संसार के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। अगर कोई विजेता बचा रहा तो जिस राष्ट्र की विजय होगी, उसके लिए वह विजय ही जीवित-मृत्यु जैसी बन जायगी।

पृथ्वी एक देश है तथा मानव जाति इसके नागरिक

हमारा मानना है कि सारे संसार में व्याप्त ग्लोबल वार्मिंग, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद एवं तीसरे विश्व युद्ध की विभीषिका जैसी विषम सामाजिक परिस्थितियों से मुक्ति के लिए शिक्षा को विश्वव्यापी बनाना चाहिए। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 हमें अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की सीख देता है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करना राष्ट्रीय कानून का सम्मान जैसा ही पवित्र कर्त्तव्य है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने अपनी स्थापना के समय से जय जगत के ध्येय वाक्य के रूप में अपनाया है। बहाउल्लाह ने कहा है कि पृथ्वी एक देश है तथा मानव जाति इसके नागरिक है। बिना क्षण गंवाये सारे विश्व में इस ज्ञान को फैलाना चाहिए कि मानव जाति एक है।

 

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