मानसून में देरी से बढ़ेगा रुई का उत्पादन, दालों को होगा नुकसान
देश की सबसे बड़ी कृषि समाधान कंपनी स्काईमेट ने हाल ही में खरीफ फसल पर एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल मानसून में देरी जरूर हुई है, लेकिन जुलाई के अंत और अगस्त में हुई तेज बारिश ने इसकी पूरी भरपाई की है. जुलाई और अगस्त के बीच हुई सामान्य से ज्यादा बारिश ने देश के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ेगा. खास तौर पर खरीफ फसलों पर.
असम में 7,82,051, बिहार में 12,91,680, उत्तर प्रदेश में 84,161 और पंजाब में इस बार 15,438 हेक्टेयर जमीन सामान्य से ज्यादा नमी के चलते बर्बाद हुई. इस बार ज्यादातर खरीफ फसलें जैसे सोयाबीन, धान और दालें देर से बोई गईं. यहां तक की कई अहम राज्यों में अभी तक बीज बोए जा रहे हैं. मानसून का ट्रेंड देखते हुए स्काईमेट का अनुमान है कि सोयाबीन का उत्पाद पिछले साल 13.69 मिलियन टन के मुकाबले इस साल घट कर 11.99 मिलियन टन तक आ सकता है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हई सामन्य से ज्यादा बारिश का असर फसल पर पड़ सकता है.
साथ ही धान की फसल में भी इस बार गिरावट देखने को मिल सकती है. पिछले साल हुए 101.96 मिलियन टन उत्पादन के मुकाबले इस साल खरीफ के मौसम में धान की फसल में 13 % की गिरावट आ सकती है, जिससे धान का कुल उत्पाद गिरकर 88.66 मिलियन टन तक आने की उम्मीद है. इसके अलावा दालों के उत्पादन की अगर बात करें तो बुआई में देरी के चलते इस साल दाल किसान को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. पिछले साल दाल का उत्पादन 8.59 मिलियन टन दर्ज किया गया था जो कि इस बार घट कर 8.53 मिलियन टन तक पहुंच सकता है.
हालांकि, कपास के किसानों के लिए इस बार मानसून में देरी वरदान साबित हो सकती है. स्काईमेट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार रुई की फसल में पिछले साल के मुकाबले इस साल 14% की बढ़ोतरी होगी. जहां, पिछले सीजन में कपास का कुल उत्पाद 30.08 मिलियन बेल्स था, वहीं इस साल बढ़ कर 34.21 मिलियन बेल्स तक जा सकता है.