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मीडिया से यह नहीं कह सकते कि क्या दिखाएं और क्या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को टीवी और रेडियो के कार्यक्रमों के खिलाफ होनी वाली शिकायतों के निपटारे के लिए कानूनी तंत्र विकसित करने के लिए कहा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि हम मीडिया को यह नहीं कह सकते कि आप क्या दिखाएं और क्या नहीं। 
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चीफ जस्टिस जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को केबल टेलिविजन नेटवर्क विनिमयन कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए लोगों की शिकायतों का निवारण करने के लिए वैधानिक तंत्र विकसित करने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि अगर उन्हें टीवी या रेडियो के किसी कार्यक्रम को लेकर आपत्ति है तो वह अपनी शिकायत लेकर कहां जाएं। 

लोगों को शिकायत के निवारण का रास्ता मालूम होना चाहिए

पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कहना कि उसके पास पहले से ही तंत्र या प्रणाली है, लिहाजा हमारा मानना है कि इसके लिए पर्याप्त प्रचार की जरूरत है जिससे कि लोग अपनी समस्या लेकर वहां जा सकें। लोगों को शिकायत के निवारण का रास्ता मालूम होना चाहिए। साथ ही पीठ ने सरकार से यह भी कहा कि शिकायत के निपटारे के लिए समय सीमा तय होनी चाहिए।

 चीफ जस्टिस ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मैं टीवी देख रहा हूं और इस दौरान कोई कार्यक्रम आपत्तिजनक लगे तो हमें इसकी शिकायत किसे करनी होगी, यह मुझे पता होना चाहिए। हालांकि पीठ ने साफ कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं देंगे या कोई कोड नहीं बनाएंगे। अदालत कॉमन काउज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में टेलिविजन और रेडियो प्रोग्राम को रेगुलेट करने की गुहार की गई थी।

 

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