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शिमला-कालका ट्रैक पर दौड़ा अंग्रेजों के जमाने का भाप इंजन ट्रेन


शिमला : विश्व धरोहर में शुमार शिमला-कालका रेल ट्रैक पर सोमवार को अंग्रेजों के जमाने का 113 साल पुराने भाप इंजन की छुक-छुक की आवाज सुनाई दी। दो बोगियों को इंजन के साथ जोड़ा गया था और 30 ब्रिटिश नागरिकों ने इनमें सफर करने का आनद लिया। सोमवार सुबह नौ बजकर 30 मिनट पर भाप इंजन को शिमला रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाई गई। ब्रिटिश नागरिकों ने इस सफर की यादों को जिंदा रखने के लिए फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की। वहीं शिमला से कैथलीघाट स्टेशन तक जगह-जगह भाप इंजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी। शिमला से केथलीघाट स्टेशन की दूरी 22 किलोमीटर है। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर रेलवे बुकिंग पर ही भाप इंजन को ट्रैक पर उतारता है। दो बोगियों में आने-जाने के लिए एक दिन का किराया करीब डेढ़ लाख रुपये रहता है। 11 दिन पहले 14 फरवरी को भी ब्रिटिश नागरिकों के एक दल की बुकिंग पर इस ट्रैक पर भाप इंजन दौड़ा था। अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहे शिमला में इस इंजन के ट्रैक पर चलने से पुराना समय याद आ जाता है। शिमला रेलवे स्टेशन के अधीक्षक प्रिंस सेठी ने बताया कि ब्रिटिश पर्यटकों की मांग पर भाप इंजन वाले ट्रेन को आज ट्रैक पर उतारा गया और इसमें 30 पर्यटकों ने सफर किया। उल्लेखनीय है कि कालका-शिमला ट्रैक पर भाप इंजन वर्ष 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था। वर्ष 1945 में महात्मा गांधी भी इस भाप इंजन में शिमला का सफर कर चुके हैं। वर्ष 1967 में इसे बंद कर दिया गया था और ट्रैक पर डीजल इंजन उतारा गया। अब पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ही इसे चलाया जाता है।

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