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सेन्सस-2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना से क्यों भाग रही भाजपा सरकार: निषाद


लखनऊ। पिछड़े वंचित तबके के कल्याण व संवैधानिक अधिकार के मुद्दे पर भाजपा व कांगे्रस की बिल्कुल एक जैसी नीति है। सेन्सस-2011 में कांग्रेस सरकार ने संसद के अन्दर जनगणना का आश्वासन दिया था। पर, जब जनगणना प्रक्रिया शुरू हुई तो ओबीसी की जनगणना कराने से हाथ खींच लिया।

2014 में मोदी सरकार बनने पर केन्द्र सरकार ने ओबीसी की जनगणना के लिए अलग से 449 करोड़ का बजट दिया। परन्तु जब 15 जून 2016 को जनगणना रिर्पोट जारी की गयी तो ओबीसी की जनसंख्या को छुपा दिया गया। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि सामाजिक न्याय के मुद्दे कांग्रेस व भाजपा का डी0एन0ए0 एक है। सेन्सस 2011 के अनुसार एससी,एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक, मुस्लिम, इसाई, सिक्ख, जैन,  पारसी, रेसलर आदिद्ध के साथ-साथ दिव्यांग व ट्रान्सजेण्डर की जनगणना घोषित कर दी गयी पर ओबीसी के साथ धोखा किया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार से संविधान, लोकतंत्र व सांविधानिक संस्थाओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

निषाद ने कहा कि पूर्व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बाकायदा घोषणा किया था कि सेन्सस 2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना करायी जाएगी और 2024 तक घोषित कर दी जाएगी। पर, अब भाजपा सरकार अपने वायदे से मुकर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार सेन्सस 2024 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने से आखिर भाग क्यों रही है ?

जनगणना के लिए जो फार्म बना है उसमें एससी/एसटी का कालम बना है और इसके बाद अन्य का काॅलम है। ओबीसी का स्वतंत्र कालम न बनाया जाना पिछड़ों के साथ धोखा व विश्वासघात है।
निषाद ने कहा, ‘‘मण्डल विरोधी भाजपा कभी पिछड़ों -वंचितों की हितैषी नहीं हो सकती। संघ नियंत्रित भाजपा सामाजिक न्याय व आरक्षण को कुंद करने के काम में जुटी हुई है।

मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू न करने की शर्त पर आरएसएस ने 1980 में इन्दिरा गांधी व 1985 में राजीव गांधी को समर्थन दिया था। जब 7 अगस्त 1990 को बीपी सिंह की सरकार ने मण्डल कमीशन की सिफारिश के अनुसार ओबीसी को सरकारी सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया तो संघ के इशारे पर भाजपा अयोध्या में राममन्दिर बनाने के मुद्दे पर आडवाणी को कमण्डल देकर रामरथ पर सवार कर दिया।

निषाद ने एनआरसी, एनपीआर, सीएए के सम्बन्ध में कहा कि, ‘‘मुसलमान तो सिर्फ बहाना है, ओबीसी, एससी, एसटी, असली निशाना है।’’ आरएसएस के इशारे पर मोदी सरकार पिछड़े-दलित-आदिवासी वर्ग को शिक्षा, सम्पत्ति व मताधिकार से वंचित करने का षडयन्त्र करने में जुटी हुई है। संघ व भाजपा के डीएनए में सामाजिक न्याय है ही नहीं ।जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की वकालत करते हुए निषाद ने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका, पदोन्नति व न्यायपालिका में सभी वर्गों को समानुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जाना नैसर्गिक न्याय के अनुकूल होगा। आरक्षण भीख व बैसाखी नहीं और न ही गरीबी उन्मूलन का साधन है। बल्कि प्रतिनिधित्व सुनिश्चितिकरण का आधार है।

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