मुम्बई : लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी हृस्श्व में अपना स्टेक मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक 5 प्रतिशत घटाना होगा। इस मामले के जानकार दो सूत्रों ने ईटी को बताया कि मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पब्लिक सेक्टर की इंश्योरेंस कंपनी को यह निर्देश दिया है। सेबी ने एक्सचेंज में इंश्योरेंस कंपनी के पांच पर्सेंट वोटिंग राइट्स को फ्रीज भी कर दिया है। बैंक एनएसई का शेयरहोल्डर होने के साथ ही उसका ट्रेडिंग मेंबर भी है।
सेबी के रूल्स के मुताबिक किसी स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग और असोसिएट मेंबर्स का टोटल इन्वेस्टमेंट और वोटिंग राइट्स 49त्न से ज्यादा नहीं हो सकता। पिछले साल तक एनएसई में स्ट्रैटिजिक इन्वेस्टर मानी जाती थी, इसलिए यह रूल उस पर लागू नहीं होता था। हालांकि बैंक को खरीदने के बाद को ट्रेडिंग और असोसिएट मेंबर कैटिगरी में डाल दिया गया है। बैंक में रुढ्ढष्ट के स्टेक का वर्ग बदलने से ट्रेडिंग मेंबर्स की मैक्सिमम शेयरहोल्डिंग लिमिट तय सीमा से 4.9 प्रतिशत ज्यादा हो गई। इस पर सेबी ने से स्टॉक एक्सचेंज में अपना स्टेक घटाने के लिए कहा। जून में हृस्श्व के शेयरहोल्डिंग डेटा के मुताबिक, फिलहाल में 12.5त्न स्टेक के साथ उसकी सबसे बड़ी शेयरहोल्डर है, जबकि बैंक के पास इसमें 1 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा स्टेक है।
लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेबी ने यह कदम लीगल प्रोविजंस के हिसाब से उठाया है। उनके मुताबिक, हालांकि रेगुलेशन का मकसद एक्सेचेंजों में ब्रोकर्स/ट्रेडिंग मेंबर्स के प्रभाव को सीमित करना था। तकनीकी तौर पर स्ट्रैटेजिक इनवेस्टर है, जिसका हृस्श्व सहित कई दर्जन कंपनियों में स्टेक है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी को इस पाबंदी से छूट दी जानी चाहिए।