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किताबों में नहीं, घरेलू काम में मशगूल


सेमरी बाजार / सुलतानपुर: कोविड 19 वैश्विक महामारी से निपटना जहां समूचे विश्व के सामने चुनौती साबित हो रहा है। लोगों की दिनचर्या भारी पड़ रही है।वहीं विधालयों के बंद होने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों ने अपने दिनचर्या में परिवर्तन कर लिया है।लाक डाउन 2 में नन्हें मुन्ने बच्चों का स्कूल बंद है।बच्चों के कंधों पर न किताब कांपी का भारी भरकम झोले का बोझा है और न ही स्कूल जाने की फिक्र है।ऐसे में गांव के बच्चे सुबह सुबह बागों में महुआ बीनते दिखाई देते हैं

।लाकडाउन का कोई असर इनके उपर नहीं दिखाई देता है।इससे भी समय बचा तो परिवार के मदद में हाथ बंटाते दिखाई देते हैं।क्षेत्र के बद्री प्रसाद मौर्य, भदई हरिजन, संतोष कुमार जैसे लोगों का कहना है कि लाकडाउन से कोई ज्यादा दिक्कत नहीं है।खेती बारी के काम से फुरसत ही नहीं है। कभी कभार बाजार में कुछ खरीदने जाना पड़ता है तो जाते हैं।सामान खरीद कर वापस लौट आते हैं।

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