छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के 4 साल पूरे हो चुकें हैैं। इन चार सालों के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को पूरा करने का संकल्प मुख्यमंत्री ने लिया और इसका क्रियान्वयन करने ऐसी अनेक जनहितकारी योजनाएं बनाई गई जिससे किसानों, महिलाओ और युवाओं को जोड़ा गया। राज्य में चल रही अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन का बीड़ा तो महिलाओं द्वारा संचालित स्वसहायता समूहों ने उठाया है और वो बड़े ही संगठित रूप से कार्य कर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन के साथ-साथ अन्य आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ की गई। गौठानों में ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाए जा रहे इन सभी गतिविधियों में गांवों के महिला समूह और युवाओं को जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने रंक्षा बंधन के दिन महिला समूहों के ऋणों को माफ करने की घोषणा की। इन सब कार्यो से 4 सालों के कार्यकाल के दौरान कृषि स्वास्थ्य,उद्योग,महिला सशक्तिकरण,ऊर्जा वन अधिकार सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने की पहल से महिलाओं और युवाओं को उनके ग्रामों के आसपास ही रोज़गार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इससे बाहरी राज्यो में जाकर रोजगार तलाशने की समस्या से भी निजात खेतिहर श्रमिकों को मिली है।
छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं से सभी वर्गों के जीवन स्तर में आर्थिक, सामाजिक बदलाव लाया जा रहा है। जल संरक्षण, पशु संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन को आमजन की सहभागिता से सफल बनाने के लिए सुराजी गांव योजना 2 अक्टूबर 2019 से शुरू की गई है। इस योजना के तहत नरवा (बरसाती नाले), गरवा (पशुधन), घुरवा (कम्पोस्ट खाद निर्माण) और बाड़ी (सब्जी और फलोद्यान) के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान प्रारंभ किया गया है।
सरकार की ऐसे ही फ्लैगशिप योजनाओं में शामिल है, सुराजी गाव योजना। किसानों को चारागाह के लिए भूमि उपलब्ध कराई जा रही है, नालों का निर्माण कर सिंचाई और निस्तारी जल की सुविधा दी जा रही है। मवेशियों को रखने और चारे का बंदोबस्त किया जा रहा है साथ ही बाड़ी में सब्जी लगा कर जैविक कृषि की ओर उन्हें अग्रसर किया जा रहा है। इस योजना से खुले में पशुओं की चराई प्रथा पर रोक लगी है। सिंचित क्षेत्रों में किसान दोहरी फसल लेने लगे हैैं। खेती किसानी में वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से रासायनिक खादों के उपयोग से होने वाले हानिकारक तत्वों से मुक्ति मिल रही है। खेत भी वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से उपजाऊ बनते जा रहे है।
नरवा कार्यक्रम- राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित कर इस कार्यक्रम के तहत उनका ट्रीटमेंट कराया जा रहा है। इससे वर्षाजल का संरक्षण होने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों का भू-जलस्तर सुधर रहा है। प्रदेश में नरवा बनाने का कार्य भी द्रुतगति से चल रहा है। इन नालों के जरिए ग्रामीणों को कृषि के लिए सिंचाई का पानी मिल रहा, मवेशियों को पीने के पानी की समस्या से निजात मिल रही साथ ही गर्मी के दिनों में भी ग्रामीणों को निस्तारी के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही वन्य प्राणियों के लिए भी गर्मी के दिनों में पेयजल की किल्लत नहीं होती और उनके लिए हर वक्त पानी मिल रहा है।
गरवा कार्यक्रम – इस कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में गौठान बनाकर वहा पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं। प्रदेश में करीब 11,288 गौठान स्वीकृत हुए है ,अब तक 9631 गौठान बन गए है। जिनमे से 4372 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी है। गौठानों में पशुओं के लिए डे-केयर की व्यवस्था है। इसके तहत चारे और पानी का निःशुल्क प्रबंध किया गया है। इससे मवेशियों को चारे के लिये भी भटकना नही पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों को पैरा दान करने की अपील की इसका असर यह हुआ कि किसान स्वमेव आगे आये और इन गौठानों में 4 लाख 513 हज़ार क्विंटल से अधिक का पैरा दान किया गया है।
घुरवा कार्यक्रम – इसके माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। फिलहाल इन गौठान में 20 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, साढ़े 5 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट तथा 19 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस का निर्माण किया गया है। घुरवा के लिये 92 हजार पक्के टांके स्वीकृत किये गए हैं इनमें, 81 हज़ार टांके बनकर तैयार है। वहीं 16 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट बिक्री सहकारी समीतियों के माध्यम से की जा चुकी है।
बारी कार्यक्रम- छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है। ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाडियों को विकसित किया गया है। साथ ही गौठनो में बनाई गई करीब 4429 सामुदायिक बाड़ियों के जरिये फल साग-सब्जियों के उत्पादन से कृषकों को आमदनी के साथ-साथ पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना के जरिये ग्रामों औऱ बसाहटों में बाड़ियों को विकसित कर लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने प्रोत्साहित किया जा रहा है।
न्याय योजनाः खेती किसानी को मजबूत बनाने के लिए किसानों को इनपुट सब्सिडी देने के लिए चलाई जा रही राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों के मनोबल में वृद्धि हुई है इससे लगातार खेती किसानी का रकबा बढ़ता चला जा रहा है। किसानांे को साहूकारों के उचे ब्याज दर पर ऋण लेने से मुक्ति मिली है। इस योजना के तहत खरीफ और उद्यानिकी फसलों के उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दी जाती है। धान के बदले दूसरी फसल लगाने या वृक्षारोपण करने पर 10 हजार रुपए इनपुट सब्सिडी दी जाती है।