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जंगलों में पैदा होने वाले कई आइटम्स पर लागू होगी MSP, आदिवासियों को रिझाने का एक और दांव

नई दिल्ली : पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसके अलावा इसी साल अन्य 6 राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों में रहने वाली बड़ी आदिवासी आबादी को रिझाने के लिए सरकार ने नया दांव चला है। अब जंगल में पैदा होने वाले कई अन्य आइटम्स पर भी एमएसपी लागू करने की तैयारी है। इन उत्पादों को माइनर फॉरेस्ट प्रड्यूस (MFP) कहा जाता है। मिलेट्स को प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार ने झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों में पैदा होने वाले कुछ प्राकृतिक मिलेट्स को भी एमएसपी के दायरे में लाने का फैसला किया है।

आदिवासी मामलों से संबंधित मंत्री अर्जुन मु्डा ने कहा, साहिबगंज की बारबट्टी समेत ऐसे कई जंगली उत्पाद हैं जिनका एमएसपी तय किया जाएगा। बता दें कि भारत में लगगभग 10 करोड़ की आबादी एमएफपी पर निर्भर है। वहीं घरेलू आय में भी एमएफपी का योगदान बहुत ज्यादा है। वनवासी एमएफपी पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में सरकार कई जंगली प्रोडक्ट्स को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना चाहती है।

बता दें कि सरकार पहले से ही हर्रा बाल, महुआ फूल, झाड़ू छिंद, कोदो, कुटकी और रागी, अमचूर जैसे वनोपज को एमएसपी पर खरीदती है। बता दें कि एमएसपी भारत की कृषि मूल्य नीति का अहम हिस्सा है। इसके तहत सरकार किसानों से फसल खरीदती है। वहीं बफर स्टॉक को खाद्यान्न आपूर्ति प्रदान किया जाता है। सरकार पीडीएस के माध्यम से खाद्य सुरक्षधा सुनिश्चित करती है।

1965 में पहली बार एमएसपी को कृषि मूल्य नीति का उपकरण बनया गाया था। अगर फसलों की बात करें तो अभी एमएसपी के अंतरगत 24 अनाज आते हैं। इसमें धान, गेहूं, जौ, बाजपा, मक्का, रागी, मूंगफली, सरसों, तोरती, सोयाबीन, सूरजमुखी आदि शामिल हैं।

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