राजनीति

चुनावी हार से संसाधनों की कमी पड़ी ऐसी, ‘चंदा’ मांगने को मजबूर कांग्रेसी

दस्तक ब्यूरो, देहरादून। तीन राज्यों में चुनावीं नतीजों के बाद कांग्रेस में चुनावी संसाधनों का अकाल पड़ जायेगा, इसकी कल्पना कांग्रेस ने बिल्कुल नहीं की थी। तीन राज्यों में मिली हार के बाद कांग्रेस के सामने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए संसाधनों का बड़ा संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। अभी तक कांग्रेस को सबसे बड़े राज्य राजस्थान से चुनावों में बड़ी मदद मिलती रही है, लेकिन राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ में सरकार गंवाने और मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में असफलता मिलना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। यही कारण है कि अब आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को चुनावी संसाधन जुटाने को जनता से चंदा जुटाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

3 राज्यों में मिली हार, अब कहां-कहां बची सरकार ?

 दरअसल, पांच राज्यों में चुनावों से पहले कांग्रेस की देश में चार राज्यों में सरकारें थी, जिनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक शामिल थे। इनमें से कांग्रेस ने अब राजस्थान व छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्य गंवा दिये हैं।

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जबकि, सिर्फ तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिल सकी है। अब कांग्रेस के पास सिर्फ तीन राज्य बचे हैं, जिनमें कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व तेलंगाना हैं। इनमें राजस्थान सबसे बड़ा राज्य था, राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही सभी बड़े राज्यों व लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए संसाधन जुटाने में मदद करते थे। अब मौजूदा समय में पार्टी के लिए कर्नाटक ही बड़ा राज्य बचा है, हिमाचल व तेलंगाना आर्थिक दृष्टि से ज्यादा मजबूत नहीं हैं। कांग्रेस को अंदाजा भी नहीं था कि चुनावी नतीजे इस तरह होंगे कि उसे इतने बुरे दिन देखने को मिल सकते हैं।

 अब अगले साल शुरू में लोकसभा चुनाव होने हैं, जिनमें संसाधन जुटाने के लिए बड़ी वित्तीय मदद चाहिए होगी। कांग्रेस इस जरूरत की भरपाई करने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसी कमी को पूरी करने के लिए कांग्रेस ने डोनेट फॉर देश कैंपेन चलाया है, जिसमें ऑनलाइन डोनेशन व घर-घर जाकर चंदा मांगा जायेगा। इस धनराशि से कांग्रेस लोकसभा चुनाव में संसाधन जुटाने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस के सामने दूसरी बड़ी मजबूरी यह भी है कि पूंजीपति भी पार्टी को चंदा देने से कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अब कांग्रेस को सिर्फ जनता से चंदा मांगने का ही आखिरी सहारा है।

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