भारतीय वायुसेना ने किया कमाल: अंगदान से 3 लोगों को दी नई जिंदगी, पुणे से दिल्ली तक पहुंचाया

नई दिल्ली। भारतीय सेना के कमांड अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने शुक्रवार रात भारतीय वायुसेना के सुपर हरक्यूलिस विमान का इस्तेमाल करते हुए पुणे की एक 59 वर्षीय दिमागी रूप से मृत महिला से लीवर और दो किडनी लेकर उन्हें प्रत्यारोपण के लिए नई दिल्ली पहुंचाया। महिला के परिवार ने इस नेक कार्य के लिए उदारतापूर्वक अंगदान की सहमति दे दी थी।
तीन लोगों की बचाई जान
रक्तदाता जो एक सेवारत सैनिक की माँ थीं को 17 जुलाई को कमांड अस्पताल में ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया था। कमांड अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया, टीम ने दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले चार घंटे से भी कम समय में एक लीवर दो किडनी और दो कॉर्निया निकाले। दिल्ली में लीवर को एक नागरिक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया जबकि दो किडनी दो सेवारत सैनिकों में प्रत्यारोपित की गईं। इस दान से कुल तीन लोगों की जान बचाई जा सकी।
वायुसेना का ‘ग्रीन एयर कॉरिडोर’
पुणे से दिल्ली तक इन महत्वपूर्ण अंगों को हवाई मार्ग से तेज़ी से ले जाने के लिए विमान के लिए एक ‘ग्रीन एयर कॉरिडोर’ बनाया गया था। एक वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी ने बताया, ग्रीन एयर कॉरिडोर प्रोटोकॉल के तहत विमान को उड़ान भरने और उतरने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा रडार सहित सभी ग्राउंड क्लीयरेंस को विमान की सुचारू उड़ान के लिए पहले से अलर्ट मिल जाता है।
दक्षिणी कमान द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह मानवीय मिशन सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवाओं (AFMS) और भारतीय वायुसेना के बीच निर्बाध समन्वय से संभव हुआ जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि अंग समय पर पहुँचें और कई लोगों की जान बचाई जा सके। बयान में दाता परिवार के इस नेक कार्य की भी सराहना की गई है जो व्यक्तिगत क्षति के बावजूद निस्वार्थ बलिदान का एक प्रमाण है।
सशस्त्र बलों का मानवता के प्रति अटूट समर्पण
कमान अस्पताल पिछले दो वर्षों से सफलतापूर्वक अंग प्रत्यारोपण कर रहा है। अधिकारी ने कहा, इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पुलिस सहित सभी एजेंसियों के साथ सही समन्वय आवश्यक था। पिछले कुछ वर्षों में हमने एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) स्थापित की है।
यह मिशन सशस्त्र बलों की न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति बल्कि मानवता के प्रति भी अटूट समर्पण को दर्शाता है। भारतीय वायुसेना ने पहले भी ऐसे कई जीवन-रक्षक मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
➤ 31 जुलाई, 2015: भारतीय वायुसेना ने लीवर कैंसर से पीड़ित 56 वर्षीय पूर्व सैनिक और किडनी फेलियर से पीड़ित एक जवान को बचाने के लिए पुणे से दिल्ली तक किडनी और लीवर पहुंचाया था।
➤ 11 फरवरी, 2023: 40 वर्षीय ब्रेन-डेड सैनिक के हृदय को भारतीय वायुसेना के विमान से नई दिल्ली से पुणे लाया गया और सेना के कार्डियो-थोरैसिक विज्ञान संस्थान में सेवारत सैनिक की 29 वर्षीय पत्नी में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया।
➤23 फरवरी, 2024: भारतीय वायुसेना के डोर्नियर विमान का उपयोग सेना अनुसंधान और रेफरल अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम को पुणे से दिल्ली ले जाने के लिए किया गया था ताकि एक सैनिक का जीवन बचाया जा सके।
ये सभी घटनाएँ दर्शाती हैं कि भारतीय सशस्त्र बल आपदा या आपात स्थिति में मानवीय सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।