साहित्य

भारतीय समाज को भारतीय नजरिये से समझने की एक कोशिश

के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-5 सन् 50 तक तो अंग्रेजों को दोष दिया जाना शायद कुछ जायज होता। उसमे भी इस प्रश्न…

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भारतीय समाज को भारतीय नजरिये से समझने की एक कोशिश

के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-4 1500–1900 के कालखंड उपनिवेशवाद, नरसंहार, स्थानिक आबादी का उत्पीड़न, प्रवासी यूरोपीय जन का आधिपत्य आदि का ही…

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मेरे देश के जवानों को शत शत नमन

पूनम चंद्रवंशी कुर्बान कुछ मेरे सपनों की पहचान थीकुछ मां के सपनों का था मान ना समझा ना जाना जो…

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उपनिवेशवाद दो ढाई सौ वर्षों का संक्षिप्त विवरण

के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-6 2005-2020, विश्व पटल पर विश्व व्यापार संगठन निस्तेज होने लगा। Trade War के आसार नजर आने लगे।…

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उपनिवेशवाद दो ढाई सौ वर्षों का संक्षिप्त विवरण

के.एन. गोविन्दाचार्य भाग 5 स्तम्भ: 1945 मे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ। भारी जनहानि हुई थी। मारक अस्त्रों मे एटम…

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उपनिवेशवाद दो ढाई सौ वर्षों का संक्षिप्त विवरण

भाग 3 के.एन. गोविन्दाचार्य स्तम्भ: अंग्रेजों ने 1750 से 1945 तक भारत की समाजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था और सांस्कृतिक, धार्मिक व्यवस्था…

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उपनिवेशवाद दो ढाई सौ वर्षों का संक्षिप्त विवरण 

के.एन. गोविन्दाचार्य भाग 2 इसी सिलसिले में 1780 से 1802 तक चले Land Resettlement Act और 1860-1890 में जनगणना मे…

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उपनिवेशवाद : दो ढाई सौ वर्षों का संक्षिप्त विवरण

भाग 1 के.एन. गोविन्दाचार्य उपनिवेशवाद परिणामतः साम्राज्यवाद की कहानी पिछले लगभग 500 वर्षों की है। 1490 से 1500 के बीच…

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आदमी, आदमी हुआ तो इसलिए

जय प्रकाश मानस ख्यात लेखक, जनसत्ता के संपादक प्रभाष जोशी जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि बस्स, वे कहते…

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पसीने की कहानी

जय प्रकाश मानस प्रिय दोस्त की प्रिय लघुकथा एक बहुत अमीर आदमी था। उसके पास बहुत बड़ा महल था। देशी-विदेशी…

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चीटियों को पसंद नहीं ऊँची आवाज़

जय प्रकाश मानस माटी की सिपाही हैं चींटियाँ। गुड़, गोरस या मिठाई, जो भी अतिरिक्त हों, एक दिन सब चट…

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बड़ा बेटा

अजीत सिंह स्वयं के जीवन से जुड़ा मार्मिक संस्मरण स्तम्भ: बड़ी घबराहट हो रही है, मन बडा बेचैन है, चक्कर…

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ए गाँव के लफंगे-लतख़ोर…

सुमन सिंह स्तम्भ: “हरे ये पिंटुआ! हमनियों के देबे पेप्सिया की कुल ओहि लड़िकवन में बाँट देबे…आँय।” होठों को अजब…

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यहां तो हर शख्स मुँह छुपाए है

ज्ञानेन्द्र शर्मा प्रसंगवश स्तम्भ: लॉकडाउन का चौथा अध्याय अब खत्म होने को एक हफ्ता बचा है। अबकी बार लग रहा…

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एक शपथ मेरी भी…

पूनम चंद्रवंशी नई दिल्ली: अब मैं आपको क्या बता सकती हूँ? बहुत खूबसूरत शब्दों में और अपने दिल से सभी…

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छाले दरक रहे हैं और पाँव गल रहे हैं: डॉ. मालविका हरिओम

(उमेश यादव/ राम सरन मौर्या): कोरोना महामारी(कोविड19)से समूचा विश्व दहला हुआ है।चारों तरफ लोग भयभीत नजर आ रहे हैं।इससे निजात…

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” कैसी हो यह ईद? “

अहमद रज़ा स्तम्भ: कुछ ही दिनों में ईद का त्यौहार आने वाला है। ऐसे में कोरोना को लेकर सरकार और…

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हम सफर में हैं…

डॉ. विमला व्यास हां वो सफ़र में हैंआज से नही विगत कई वर्षों से उसने अपना घर द्वार छोड़ागांव गली…

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भारत की कल्पना शक्ति के ‘गाइड’ थे आर के नारायण

विमल अनुराग पुण्यतिथि पर विशेष भारत में अंग्रेजी उपन्यासों के प्रति आकर्षण भाव बढ़ाने वाले, हृदय स्पर्शी कृतियों की रचना…

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वो चिट्ठियाँ बहुत याद आती है…

डा़ॅ. धीरज फुलमती सिंह मुम्बई: इंटरनेट और मोबाईल फोन के इस आधुनिक युग में वह लाल डब्बा अब कही दिखाई…

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भारतीय अभिनय आकाश में इरफ़ान खान सा चमकने वाला सितारा दूजा नहीं आएगा “मानो या न मानो”

इरफ़ान खान पर विशेष स्तम्भ: साल 2005 की बात है, मैं आठवीं कक्षा सफलतापूर्वक लांघने के बाद, साहित्य और राजनीति…

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पीएम केयर फंड: अंध विरोध से निरन्तर निखरते मोदी

स्तम्भ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को मजबूत करने में उनकी पार्टी, उनकी निजी काबिलियत के समानन्तर विरोधियों का योगदान…

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कोरोना पैकेज में कहां खड़े है वास्तविक जरूरतमंद…!

स्तम्भ:  आधार एवं डिजीटल प्लेटफार्म पर सभी सरकारी योजना और हितग्राहियों को समेकित करने के काम ने निसन्देह सरकारी सब्सिडी…

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गृह बंदी की लक्ष्मण रेखा के भीतर धधकते सवाल

स्तम्भ: पूरा देश लॉक डाउन पर है।प्रधानमंत्री की भावुक और सख्ती समिश्रित अपील का असर 135 करोड़ लोगों पर स्पष्ट…

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हिंदी-साहित्य ही नही जगत-साहित्य में निराली है रामचरितमानस

रामकुमार सिंह महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदी बेन पटेल के जन्मदिन पर विशेेष स्तम्भ: एक सुखद सुंदर मनोहारी तस्वीर,उत्तर प्रदेश…

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क्यों जरूरी है राम मंदिर

रामकुमार सिंह स्तम्भ: राम हम सभी के आधारभूत अविनाशी तत्व जो जड और चेतन सबमे विद्मान। कही व्यक्त रूप से…

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‘ढोंगी लंपट चोर ही, देते जग को सीख’, रचना को मिली काफी सराहना

लखनऊ: जानकीपुरम,लखनऊ स्थित ‘भूषण सदन ‘ में सामाजिक-सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था ‘सुन्दरम् ‘ के तत्वावधान में आयोजित मासिक आयोजन में…

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कैसे प्रकट करे अपने अंदर बैठी दुर्गा को।

रामकुमार सिंह मॉ भगवती हम सभी के अंदर प्राण शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, आईये अपने अंदर ही छुपी…

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