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किसान आंदोलन : उद्योगों में मंदी, चावल उद्योग को एक हजार करोड़ का नुकसान

चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर किसानों की 20 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चाबंदी है। इस मोर्चाबंदी से उद्योग जगत में आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है।

कच्चे माल की सप्लाई रुकी

हरियाणा में अकेले चावल उद्योग को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है तो अंबाला की साइंस इंडस्ट्री और पानीपत के कंबल उद्योग के कारोबार में भी 20 से 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। यही नहीं रास्ते बंद होने से कच्चे की माल की सप्लाई रुक गई है तो तैयार उत्पाद को पहुंचाने में भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


केंद्र सरकार और किसानों में पनपे गतिरोध से औद्योगिक इकाइयों का कारोबार पूरी तरह ठप्प हो गया है। खासकर चावल इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। रास्ते बंद होने के चलते साऊदी अरब में निर्यात होने वाले चावल की सप्लाई बंद हो गई है तो अंबाला स्थित एशिया की सबसे साइंस इंडस्ट्री में भी मंदी छा गई है। ट्रांसपोर्टेशन की कीमतें भी दोगुनी हो गई हैं।

अर्थशास्त्रियों का मनना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और लोगों की गंभीर समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार व किसानों को बातचीत के जरिये हल निकालना होगा।


कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से हरियाणा में चावल, साइंस व कंबल उद्योग को नुकसान पहुंचा था। अनलॉक होने से परिस्थितियों सुधर रही थी, लेकिन अब दोबारा किसान आंदोलन से पिछले 20 दिनों से रास्ते बंद होने से तीनों इंडस्ट्रियों में मंदी छा गई है।

उपभोक्ता, उत्पादक और ट्रेडर्स की बढ़ी परेशानी : एमएम गोयल

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं अर्थशास्त्री मदन मोहन गोयल का मानना है कि किसान आंदोलन से उपभोक्ता, उत्पादक व ट्रेडर्स की परेशानी बढ़ी है। इससे हरियाणा व पंजाब के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है।

यदि सरकार ने जल्द इस समस्या का समाधान नहीं निकाला तो अर्थ व्यवस्था पर इसका असर लॉकडाउन से ज्यादा पड़ने की संभावना है। हरियाणा में बाहरी राज्यों से आने वाला कच्चा माल रुक गया है, जिसे हर इंडस्ट्री में मंदी छा गई है।

साइंस इंडस्ट्री का 20 से 25 प्रतिशत तक कार्य हुआ प्रभावित : संजय गुप्ता

अंबाला साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय गुप्ता का कहना है कि अंबाला एशिया की सबसे बड़ी साइंस इंडस्ट्री है। यहां तकरीबन दो हजार से ज्यादा लघु यूनिटें साइंस इंडस्ट्री का सामान बना रही हैं।

पिछले 20 दिनों से बंद रास्तों के कारण इंडस्ट्री का कार्य 20 से 25 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है। कच्चा माल न मिलने से आर्डर रद्द हो रहे हैं तो तैयार मॉल ट्रेडर्स के पास नहीं पहुंच रहा है। ट्रांसपोर्टेशन की कीमतें भी दोगुनी हो गई हैं।

साऊदी अरब का निर्यात थमा : ज्वैल सिंगला

हरियाणा राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला का कहना है कि किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चावल उद्योग पर पड़ा है, क्योंकि बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक साउदी अरब है।

विदेशों में चावल का निर्यात थम चुका है, जिससे पूरी इंडस्ट्री को एक हजार करोड़ रुपये का अनुमान होने संभावना है। उनका कहना है कि सरकार जल्द किसानों से बातचीत कर समस्या का समाधान निकाले, ताकि कारोबार सुचारू रूप से चल सकें।

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क्रिसमस-डे के आर्डर पैक, ट्रांसपोर्टेशन की समस्या : भीम राणा

फैडरेशन ऑफ इंडस्ट्री एसोसिएशन के चेयरमैन भीम सिंह राणा का कहना है कि पानीपत एशिया का सबसे बड़ा कंबल उद्योग है। क्रिसमस-डे पर विदेशों में जाने वाले आर्डर रुक गए हैं। रास्ते बाधित होने से गर्म कंबल, चादर व अन्य उत्पादों का निर्यात नहीं हो पा रहा है और कच्चे की सप्लाई भी थम गई है। पिछले 20 दिनों में कंबल उद्योग को 20 से 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

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