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एक वकील का लड़का लगाता था पंक्चर..और देखते ही देखते बन गया डॉन

New Delhi: 1993 में मुंबई को दहला देने वाले सीरियल बम धमाकों के मामले में टाडा की विशेष अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुनने के बाद अदालत में ही अबू सलेम रो पड़ा।

New Delhi: 1993 में मुंबई को दहला देने वाले सीरियल बम धमाकों के मामले में टाडा की विशेष अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुनने के बाद अदालत में ही अबू सलेम रो पड़ा।  सलेम पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आज अंडरवर्ल्‍ड डॉन के नाम से जाना जाने वाला अबू सलेम डॉन कैसे बना, इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी है। आइये जानते हैं बचपन में आजमगढ़ की गलियों में कंचा खेलकर पला-बढ़ा सलिमवा& कैसे अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया।  पिता का इलाके में था दबदबा  उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ से 35 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा सरायमीर अंडरवर्ल्‍ड की दुनिया में एक चर्चित नाम है। इसी सरायमीर की गलियों में कंचा खेलकर पला-बढ़ा एक साधारण सा लड़का ‘सलिमवा’ अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम बन चुका है। अबू सलेम को बचपन में सब सलिमवा ही बुलाते थे। 1960 के दशक में पठान टोला के एक छोटे से घर में अधिवक्ता अब्दुल कय्यूम के यहां दूसरे बेटे अबू सलेम का जन्म हुआ। वकील होने की वजह से अब्दुल कय्यूम का इलाके में काफी दबदबा था, लेकिन एक सड़क हादसे में उनकी मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई।  पंक्‍चर बनाने का करता था काम  घर की खराब माली हालत देखकर अबू सलेम को साइकिल ठीक करने की दुकान में नौकरी करनी पड़ी। वह काफी दिनों तक मोटरसाइकिल और साइकिल के पंक्चर ठीक करता रहा। कुछ दिनों तक उसने नाई का भी काम किया। मगर इतने से उसके परिवार का पालन-पोषण नहीं हो पा रहा था, जिससे ऊबकर वह दिल्ली चला गया और वहां पर ड्राइवर की नौकरी करने लगा। दिल्ली से वह मुंबई पहुंचा और कुछ दिनों तक डिलीवरी ब्वॉय का काम करने के बाद वह दाऊद के छोटे भाई अनीस इब्राहिम के संपर्क में आया।  अनीस से मुलाकात के बाद बदली जिंदगी  अनीस से मुलाकात के बाद अबू सलेम की जिंदगी बदल गई और यहीं से शुरू हुई सलिमवा की डॉन अबू सलेम बनने की कहानी। 12 मार्च 1993 को मुंबई में अलग-अलग जगहों पर 12 बम विस्फोट हुए, जिसमें करीब 257 लोगों की मौत हो गई और 713 लोग घायल हुए। इस बम ब्लास्ट में अबू सलेम का नाम आया। इसके बाद पूरे सरायमीर को शक की निगाह से देखा जाने लगा। इसी वजह से बीड़ी बनाकर अपना खर्च चलाने वाली उसकी मां ने अपनी आखिरी सांस तक अबू सलेम को मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़ने और 1993 के सीरियल बम धमाकों में शामिल होने के लिए माफ नहीं किया। मां की मौत के बाद अबू सलेम आजमगढ़ गया था। स्‍थानीय लोग बताते हैं कि वह काफी डरा हुआ लग रहा था। एक भी मिनट मुंबई पुलिस के जवानों के पास से हटा नहीं। उसे यूपी पुलिस पर भी भरोसा नहीं था। उसके खिलाफ आजमगढ़ में भी दहेज उत्पीड़न का ए‌क मामला चल रहा है।  स्‍टेज शो के दौरान हुई मोनिका बेदी से मुलाकात  वर्ष 1998 में अबू सलेम ने दुबई में अपना किंग्स ऑफ कार ट्रेडिंग का कारोबार शुरू किया था। इसी कंपनी के स्टेज शो के दौरान ही उसकी दोस्ती फिल्‍म अभिनेत्री मोनिका बेदी से हुई। कहते हैं कि दोनों एक-दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करने लगे। यहां तक कि दोनों के बीच निकाह की भी खबर आई। हालांकि, दोनों ने सार्वजनिक रूप से कभी भी इस रिश्‍ते को नहीं स्‍वीकारा। अबू सलेम पुर्तगाल से 11 नवंबर, 2005 को भारत प्रत्यर्पित किए जाने तक फरार था। उस पर जेल में दो बार जानलेवा हमला भी हो चुका है। अबू सलेम पर जून, 2013 में नवी मुंबई के तलोजा जेल में गोली भी चली थी।सलेम पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आज अंडरवर्ल्‍ड डॉन के नाम से जाना जाने वाला अबू सलेम डॉन कैसे बना, इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी है। आइये जानते हैं बचपन में आजमगढ़ की गलियों में कंचा खेलकर पला-बढ़ा सलिमवा& कैसे अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया।

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पिता का इलाके में था दबदबा

उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ से 35 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा सरायमीर अंडरवर्ल्‍ड की दुनिया में एक चर्चित नाम है। इसी सरायमीर की गलियों में कंचा खेलकर पला-बढ़ा एक साधारण सा लड़का ‘सलिमवा’ अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम बन चुका है। अबू सलेम को बचपन में सब सलिमवा ही बुलाते थे। 1960 के दशक में पठान टोला के एक छोटे से घर में अधिवक्ता अब्दुल कय्यूम के यहां दूसरे बेटे अबू सलेम का जन्म हुआ। वकील होने की वजह से अब्दुल कय्यूम का इलाके में काफी दबदबा था, लेकिन एक सड़क हादसे में उनकी मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई।

पंक्‍चर बनाने का करता था काम

घर की खराब माली हालत देखकर अबू सलेम को साइकिल ठीक करने की दुकान में नौकरी करनी पड़ी। वह काफी दिनों तक मोटरसाइकिल और साइकिल के पंक्चर ठीक करता रहा। कुछ दिनों तक उसने नाई का भी काम किया। मगर इतने से उसके परिवार का पालन-पोषण नहीं हो पा रहा था, जिससे ऊबकर वह दिल्ली चला गया और वहां पर ड्राइवर की नौकरी करने लगा। दिल्ली से वह मुंबई पहुंचा और कुछ दिनों तक डिलीवरी ब्वॉय का काम करने के बाद वह दाऊद के छोटे भाई अनीस इब्राहिम के संपर्क में आया।

अनीस से मुलाकात के बाद बदली जिंदगी

अनीस से मुलाकात के बाद अबू सलेम की जिंदगी बदल गई और यहीं से शुरू हुई सलिमवा की डॉन अबू सलेम बनने की कहानी। 12 मार्च 1993 को मुंबई में अलग-अलग जगहों पर 12 बम विस्फोट हुए, जिसमें करीब 257 लोगों की मौत हो गई और 713 लोग घायल हुए। इस बम ब्लास्ट में अबू सलेम का नाम आया। इसके बाद पूरे सरायमीर को शक की निगाह से देखा जाने लगा। इसी वजह से बीड़ी बनाकर अपना खर्च चलाने वाली उसकी मां ने अपनी आखिरी सांस तक अबू सलेम को मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़ने और 1993 के सीरियल बम धमाकों में शामिल होने के लिए माफ नहीं किया। मां की मौत के बाद अबू सलेम आजमगढ़ गया था। स्‍थानीय लोग बताते हैं कि वह काफी डरा हुआ लग रहा था। एक भी मिनट मुंबई पुलिस के जवानों के पास से हटा नहीं। उसे यूपी पुलिस पर भी भरोसा नहीं था। उसके खिलाफ आजमगढ़ में भी दहेज उत्पीड़न का ए‌क मामला चल रहा है।

स्‍टेज शो के दौरान हुई मोनिका बेदी से मुलाकात

वर्ष 1998 में अबू सलेम ने दुबई में अपना किंग्स ऑफ कार ट्रेडिंग का कारोबार शुरू किया था। इसी कंपनी के स्टेज शो के दौरान ही उसकी दोस्ती फिल्‍म अभिनेत्री मोनिका बेदी से हुई। कहते हैं कि दोनों एक-दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करने लगे। यहां तक कि दोनों के बीच निकाह की भी खबर आई। हालांकि, दोनों ने सार्वजनिक रूप से कभी भी इस रिश्‍ते को नहीं स्‍वीकारा। अबू सलेम पुर्तगाल से 11 नवंबर, 2005 को भारत प्रत्यर्पित किए जाने तक फरार था। उस पर जेल में दो बार जानलेवा हमला भी हो चुका है। अबू सलेम पर जून, 2013 में नवी मुंबई के तलोजा जेल में गोली भी चली थी।

 

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