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ब्रह्मा की नगरी में अमन ने नाकाम की ध्रुवीकरण की कोशिश

ख्वाजा गरीब नवाज के शहर अजमेर और सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में श्रद्धा और आस्था के बीच चुनावी प्रचार में सिर्फ एक ही मुद्दा सबकी जबान पर है कि जिस तरह चुनाव प्रचार में एक दूसरे के खिलाफ बेहद निचले स्तर की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, उससे राजस्थान की आबो हवा का जायका खराब न हो जाए। दरगाह शरीफ में ख्वाजा की खिदमत में लगे हसीबुर्रहमान चिश्ती उर्फ बंटी भाई हों, या पुष्कर में ब्रह्म घाट पर पूजा करवाने वाले पंडित वैद्यनाथ पाराशर, सबकी चिंता यही है कि जीते हारे कोई भी लेकिन धर्म मजहब जातियों के बीच सदियों पुराना भाईचारा बना रहे और सब कुछ शांति से निबट जाए।

ख्वाजा के शहर और ब्रह्मा की नगरी में अमन ने नाकाम की ध्रुवीकरण की कोशिश

चुनाव प्रचार अब अपने आखिरी दौर में है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अगुआई में कई केंद्रीय मंत्रियों की फौज और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हौसला अफजाई में दिग्गज कांग्रेसी नेता सूबे के चप्पे चप्पे पर घूम रहे हैं। भाजपा के पक्ष में हिंदुत्व की हवा बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अली से लेकर बजरंग बली तक को चुनाव प्रचार में खींच लाए हैं, तो उनके आक्रामक हिंदुत्व की धार की काट के लिए कांग्रेस ने कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को मैदान में उतार दिया है।

जहां जहां योगी की सभाएं हो रही हैं, वहीं उसके बाद आचार्य पहुंच रहे हैं और अपनी शैली में योगी और भाजपा का जवाब दे रहे हैं। रविवार को प्रमोद कृष्णम ने पहले पुष्कर में ब्रह्मा जी के दर्शन किए और ब्रह्म सरोवर में पूजन करके चुनाव सभा को संबोधित किया। उसके फौरन बाद अजमेर में दरगाह शरीफ में माथा टेका और कव्वाली में शिरकत की।

अपनी चुनाव सभाओं में हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की भीड़ खींचने वाले इस धर्माचार्य पर कांग्रेसी उम्मीदवारों को बेहद भरोसा है। इसलिए अगर भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद सबसे ज्यादा मांग योगी आदित्यनाथ की है तो कांग्रेसी उम्मीदवार राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा मांग नवजोत सिंह सिद्धू और आचार्य प्रमोद कृष्णम की कर रहे हैं।

अजमेर में राजस्थानी लिबास में तारिक भाई मिलते हैं। कद काठी और वेश भूषा से लगता है कि दूरदराज किसी रेगिस्तानी रियासत से आए हैं। लेकिन नाम पूछने पर पता चलता है कि वो जयपुर के रहने वाले है। तारिक के मुताबिक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की खासी कोशिश भाजपा की तरफ से हो रही है, लेकिन लोगों में उसका असर नहीं है और जनता इसे पसंद नहीं कर रही है। पुष्कर में ब्रह्म घाट पर मिले विकास पाराशर कहते हैं कि इस बार कांटे का मुकाबला है, कह नहीं सकते कि कौन जीत रहा है।

विकास के मुताबिक इस बार राजस्थान में 2013 जैसी मोदी लहर नहीं है, लेकिन फिर भी भाजपा को कमजोर नहीं माना जा सकता है। विकास पाराशर और उनके साथ खड़े अमित भी मानते हैं कि लोगों में इस बार हिंदू मुस्लिम का मुद्दा नहीं है। पाली जिले के रायपुर के कृष्ण गुप्ता व्यापारी हैं और मुंबई में कारोबार करते हैं। लेकिन चुनाव के सिलसिले में अपने गांव आए हैं। गुप्ता कहते हैं कि चुनाव इस बार जाति और धर्म पर नहीं मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।

भले ही नेता लोग कुछ भी कहें लेकिन जनता इस बार अपना वोट अपने विवेक से इस्तेमाल करेगी किसी उन्माद या भावना में भड़क कर नहीं। इसी तरह की राय आगे भी जिन लोगों से बात होती है, मिलती है।

पाली से कुछ पहले बर में एक होटल में काम करने वाले नौलखा राम से बात होती है। नौलखा के मुताबिक कांग्रेस का जोर ज्यादा है और लोग बदलाव की बात कर रहे हैं। यह पूछने पर कि मुद्दे क्या हैं, कहते हैं कि हर इलाके में अलग अलग मुद्दे हैं, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। नौलखा राम भी मानते हैं कि इस बार नेताओं के भाषणों को लेकर लोग बंटने वाले नहीं हैं।

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