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विजय दिवस : आखिरी दम तक लोगों के हीरो रहे कुछ ऐसे थे लेफ्टिनेंट जनरल ‘जगजीत सिंह अरोड़ा’

नई दिल्ली : 16 दिसंबर का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त दी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में 3900 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और 9851 सैनिक घायल हुए थे। लेकिन सैनिकों के शौर्य का ही परिणाम था कि 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। 13 फरवरी 1916 को झेलम की काला गुजरान जिले में लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा का जन्‍म हुआ था। यह जगह आजादी के बाद पाकिस्‍तान में चली गई थी। मई 2005 में उनका निधन हो गया लेकिन आज भी लोग उन्‍हें याद करते हैं और यही कहते हैं, वह बांग्‍लादेश वाले अरोड़ा। जनरल अरोड़ा आज भी कई युवाओं के आदर्श हैं। 71 की लड़ाई में मिली जीत के बाद भी उन्‍हें उस समय की इंदिरा गांधी सरकार से नजरअंदाजगी झेलनी पड़ी थी।

इसके बाद भी उन्‍होंने कभी न तो सेना और न ही कभी अपने देश मुंह मोड़ा। हमेशा युवाओं को सेना में जाने और देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहते और आखिरी दम तक लोगों के हीरो रहे। आगे की स्‍लाइड्स में जानिए उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्‍य। एक बार उनकी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्‍कर मार दी थी। इसके बाद वह कार से उतरें और उन्‍होंने कहा, मैं जगजीत सिंह अरोड़ा हूं। आप मेरे घर आकर रिपेयर चार्ज कलेक्‍ट कर सकते हैं। इस पर भीड़ से आवाज आई, वहीं बांग्‍लादेश वाले। इसके बाद उन्‍होंने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि सरकारें हमें भूल जाती हैं लेकिन लोग हमें आज तक याद रखते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा सन 1939 में इंडियन मिलिट्री अकेडमी से ग्रुजेएट हुए थे। इसके बाद वह दूसरी पंजाब रेजीमेंट की पहली बटालियन में कमीशंड ऑफिसर बने। लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा ने बर्मा गए जहां पर वह दूसरे विश्‍व युद्ध का भी हिस्‍सा बने।

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