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सिंधिया और सचिन की इस सोच की वजह से नहीं तय हो पा रहा मुख्यमंत्री का नाम

सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद से कम स्वीकार नहीं है। वह इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके पुराने वादे की याद दिला रहे हैं और अपनी कड़ी मेहनत का इनाम चाहते हैं। यही स्थिति ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल संभाग में खास पकड़ रखते हैं। इस क्षेत्र की 34 सीटों में से 26 कांग्रेस के पाले में हैं। दोनों ही युवा नेताओं को लग रहा है कि यदि अभी सिर पर मुख्यमंत्री का ताज नहीं आया तो राजनीति में आगे की संभावना के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

सिंधिया और सचिन की इस सोच की वजह से नहीं तय हो पा रहा मुख्यमंत्री का नामपायलट या गहलोत

पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट के सामने उपमुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन वह इससे सहमत नहीं हैं। पायलट के साथ-साथ सीपी जोशी को भी उपमुख्यमंत्री बनाने की बात थी, लेकिन पायलट के तैयार न होने पर मामला अटका हुआ है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंथन करने के बाद अशोक गहलोत जयपुर रवाना होने के लिए बाहर निकले। लेकिन उनके कदम फिर ठिठक गए। वह दिल्ली में ही हैं। सचिन पायलट भी दिल्ली में हैं। सचिन पायलट की भी राहुल गांधी से अलग से मंत्रणा हुई और सचिन पायलट अभी अपने रुख पर कायम हैं। वहीं अशोक गहलोत अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बेहद शालीनता के साथ अपना पक्ष रखकर घोषणा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पहले उम्मीद थी कि शाम 4 बजे तक राज्य के मुख्यमंत्री की घोषणा हो जाएगी, लेकिन सचिन पायलट के रुख को देखते हुए इसमें समय लग रहा है।

सिंधिया या कमलनाथ

राहुल गांधी के आवास पर मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर प्रियंका गांधी वाड्रा और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी हैं। राहुल गांधी के अन्य सलाहकारों के रूप में वरिष्ठ नेता एके एंटनी, भंवर जितेन्द्र सिंह समेत अन्य हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का भी पेच फंसा हुआ है। ज्योतिरादित्य को भी मध्यप्रदेश में अभी उपमुख्यमंत्री के पद का अर्थ समझ में कम आ रहा है। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष और उनके सलाहकारों की टीम कमलनाथ को कमान देने पर करीब-करीब सहमत है।

क्या उपमंत्री बनेंगे?

राजस्थान और मध्य्प्रदेश, दोनों ही राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना क्षीण है। माना जा रहा है कि अब कांग्रेस नेतृत्व भी इसके पक्ष में नहीं है। दोनों राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाये जाने की अब कोई योजना नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व अब केवल मुख्यमंत्री का चेहरा देना चाहता है। इसके अलावा पार्टी के सभी नेताओं से अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की अपील की गई है। बताते हैं पार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों से अपने समर्थकों से पार्टी के तौर-तरीकों का पालन करने के लिए कहा है।

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