- तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लाया गया तीन तलाक बिल लोकसभा में पास
- कांग्रेस ने इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की, भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कदम बताया
- संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया, अब राज्यसभा में पेश होगा बिल
मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लाया गया ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ लोकसभा में पास हो गया। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम करार दिया। संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया। इसके बाद सदन में वोटिंग हुई।
कांग्रेस ने किया विरोध
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है।
उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई थी उसका ध्यान नहीं रखा गया। सुष्मिता देव ने कहा कि एक वकील होने के बावजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर कानून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अल्पमत के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा जाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि 1986 में राजीव गांधी के समय शाह बानो प्रकरण के बाद बनाया गया कानून मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कानून था जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बार-बार किया।
आदेश के बावजूद तीन तलाक के 248 मामले
वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। प्रसाद ने कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हालांकि मीडिया और अन्य रिपोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 477 बताई जा रही है। कानून मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्रीय स्तर पर ऐसे मामलों का राज्यवार ब्योरा नहीं रखा जाता, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले आए हैं।
20 इस्लामिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध
कानून मंत्री ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए है, न कि किसी धर्म, समुदाय या विचार विशेष के खिलाफ। दुनिया में 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
संशोधित विधेयक में जमानत का प्रावधान शामिल
- प्राथमिकी : सरकार ने तीन तलाक मामल में संशोधित विधेयक पेश किया है। इसमें पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और विवाह से बने उसके रिश्तेदारों द्वारा ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवा सकने का प्रावधान है।
- प्रावधान : तीन तलाक गैर जमानती अपराध तो है, लेकिन मजिस्ट्रेट पीड़िता का पक्ष सुनकर सुलह करा सकेंगे, जमानत भी दे सकेंगे। पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी। पति को हो सकेगी तीन साल जेल की सजा।
पहले राज्यसभा में अटका विधेयक, देरी के कारण अध्यादेश लाई सरकार
तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित करने के लिए सरकार पहले भी एक विधायक लाई थी लेकिन यह राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास पर्याप्त संख्या बल के अभाव में अटक गया था। विपक्ष ने कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई थी। इसके पारित होने में देरी होते देख इस साल सितंबर में विपक्ष के कुछ प्रस्तावों को शामिल करते हुए अध्यादेश लागू किया गया। पुराना विधेयक अभी भी राज्यसभा में लंबित है। संशोधित विधेयक अध्यादेश और पुराने विधेयक की जगह ले लेगा।
मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक राज्यसभा में लंबित
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 राज्यसभा में लंबित है। इसका उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करना है। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 लागू किया गया है।
किसने क्या कहा
सरकार धार्मिक मामलों में दखलंदाजी न करे। तीन तलाक बिल पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। यह संविधानिक मामला भी है। -मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस व प्रतिपक्ष के नेता तीन तलाक को अपराध घोषित करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ होगा। सरकार मुस्लिम महिलाओं का सशक्तीकरण करने की बजाय समुदाय के पुरुषों को दंडित करना चाहती है। -सुष्मिता देव, कांग्रेस सांसद
कुरान में तलाक के लिए बेहतरीन तरीके बताए गए हैं। महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए हैं। इसके प्रति समाज को जागरूक नहीं किया गया। -रंजीत रंजन, कांग्रेस सांसद
तीन तलाक सामाजिक कुरीति है, न कि सिर्फ इस्लाम से जुड़ा मामला। सती प्रथा और बाल विवाह को भी इसी तरह खत्म किया गया। -मुख्तार अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री
यह महिला बनाम पुरुष नहीं, बल्कि मानवाधिकार का मामला है। निकाह पूरे समाज के सामने होता है लेकिन एक कॉल या मैसेज से शादी खत्म, यह कैसा कानून है? -मीनाक्षी लेखी, भाजपा सांसद
मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के बहाने एक हजार साल से अन्याय सह रही हैं। आज का दिन उनके लिए बड़ा दिन है कि मोदी सरकार तीन तलाक विधेयक को पारित करवाने जा रही है। -विजय गोयल, संसदीय मामलों के मंत्री (संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में)
सरकार ने पहले के विधेयक में कोई बड़े संशोधन नहीं किए हैं। यह विधेयक सांप्रदायिक सद्भाव और संविधान के खिलाफ है। -अनवर राजा, अन्नाद्रमुक सांसद
बिल पर लोकसभा में दो महिला सांसदों में वार पलटवार
तीन तलाक बिल पर लोकसभा में दो महिला सांसदों में वार पलटवार हुआ। कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि मुंह में राम बगल में छुरी की राह पर है मोदी सरकार। उन्होंने पूछा कि गुजरात की ऐसी हिंदू महिला जिसे पति ने छोड़ दिया हो, उसके लिए क्या करेंगे कानून मंत्री, दीवानी मामले को आपराधिक बना कर सरकार ने पीड़ित महिलाओं से की अनदेखी की है। इसपर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि तो समान नागरिक संहिता क्यों स्वीकार करती कांग्रेस। शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि तब इस पार्टी ने इतिहास बनाने का मौका गंवा दिया था।
सदन में कागजात फेंक कर चलते बने सपा नेता
सपा के धर्मेंद्र यादव ने क्रीमी लेयर के बहाने संघ लोकसभा आयोग से ओबीसी को दूर रखने का आरोप लगाया। यादव ने बीच में ही माइक बंद करने से नाराज होकर कागजात फेंक कर सदन से वाक आउट करते हुए निकल गए।
भाजपा सांसद ने की ने एससी, एसटी और ओबीसी आयोग की तर्ज पर सवर्ण आयोग गठित करने की मांग
भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने लोकसभा में एससी, एसटी और ओबीसी आयोग की तर्ज पर सवर्ण आयोग गठित करने की मांग की है। मिश्रा ने कहा कि बड़ी संख्या में अगड़ी जातियां का शोषण हो रहा है उनकी समस्याओं को कौन सुलझाएगा।