बड़ी खबर: आर्मेनिया और अजरबैजान में छिड़ा युद्ध, 23 लोगों की मौत
नई दिल्ली: कोरोना संकट के इस दौर में जहां विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, वहीं कई देशों के बीच चल रहे आपसी विवाद भी अब बढ़ते जा रहे हैं। भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद की खबरें जहां विश्व मीडिया में सुर्खियों में छाई हुई है। इस बीच आर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia and Azerbaijan) के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो कारबाख (Nagorno-Karabakh region) को लेकर लड़ाई भड़क गई है।
रविवार को हुए संघर्ष में कम से कम 23 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में सैनिकों के साथ-साथ आम जनता भी शामिल है। दोनों देशों में जारी गोलीबारी के चलते दक्षिण कॉकस (South Caucasus) क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा उत्पन्न जो गया है। यह दुनिया के बाजारों में तेल और गैस परिवहन का कॉरिडोर है।
आपको बता दें कि पूर्व सोवियत संघ के इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है। अजरबैजान इस क्षेत्र को अपना मानता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे इसी देश का हिस्सा माना जाता है। हालांकि 1994 की लड़ाई के बाद यह क्षेत्र अजरबैजान के नियंत्रण में नहीं है। इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के सैनिकों की भारी मौजूदगी है। करीब 4400 किलोमीटर में फैला नागोर्नो-कारबाख का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति का कहना है कि उनकी सेना को नुकसान हुआ है, लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया है। अजरबैजान के प्रॉसीक्यूटर जनरल के कार्यालय ने कहा कि आर्मेनिया के अलगाववादी बलों ने अजरबैजान के गैसहल्टी गांव पर हमला किया, जिसमें आम नागरिक मारे गए। दोनों देश एक-दूसरे पर युद्ध थोपने का आरोप लगा रहे हैं। आर्मेनिया ने दावा किया है कि उसने अजरबैजान के चार हेलिकॉप्टरों को मार गिराया और 33 टैंक एवं युद्धक वाहन को नेस्तानाबूद कर दिया। हालांकि, अजरबैजान ने आर्मेनिया के इसका खंडन किया है।
उधर सीरिया ने पड़ोसी तुर्की को इस युद्धा का हवा देने का आरोप लगाया है। सीरिया ने कहा कि तुर्की आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक देश बताया है। सीरियाई विदेश मंत्री वालिद अल-मोआलेम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि तुर्की क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। उसने कब्जे का विरोध करने वाले एक दर्जन से अधिक शहरों में पानी आपूर्ति बंद कर मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। मौजूदा वक्त में उत्तरी सीरिया के एक बड़े क्षेत्र पर तुर्की का नियंत्रण है। यही नहीं तुर्की सीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ विपक्षी लड़ाकों का समर्थन भी कर रहा है।
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जानकारी के अनुसार पूर्व सोवियत संघ के इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है। अजरबैजान इस क्षेत्र को अपना मानता है। हालांकि 1994 की लड़ाई के बाद यह क्षेत्र अजरबैजान के नियंत्रण में नहीं है, इस पर आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है। दोनों देशों के सैनिक इस क्षेत्र में भारी संख्या में तैनात हैं। लगभग 4,400 किलोमीटर में फैला नागोर्नो-कारबाख का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है।
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