सरगुजा : सरगुजा जिला के मैनपाट में शनिवार की देर रात आगजनी से घास के घर में सो रहे तीन मासूम बच्चे जिंदा जल गये। जिन तीन बच्चों की मौत हुई है वह मांझी जनजाति के हैं और गरीबी के कारण घास फूस के घर में रहने के लिए मजबुर थे। घटना इतनी हृदय विदारक थी कि देखने वाले सहम उठे। दो भाई-बहन की लाश एक दूसरे से चिपकी, जबकि एक और मासूम की बॉडी उसी कमरे में अलग पड़ी हुई थी।
जिस तरीके से दोनों की लाश आपस में एक-दुसरे के आगोश में थी, अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी बड़ी बहन ने अपने छोटे भाई को बचाने के लिए काफी कोशिश की होगी लेकिन वह नहीं बचा पाई और तीनों की जलने से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार मैनपाट के बरीमा पकरीपारा निवासी देव प्रसाद मांझी जो कि महाराष्ट्र पुणे में मजदूरी का काम करता है।उसकी पत्नी सुधनी मांझी अपने चार बच्चों के साथ मिट्टी के दीवार और घास फूस की छत में रह रहे थे। शनिवार की रात सुधनी मांझी अपने 3 बच्चे गुलाबी उम्र 8 वर्ष,सुषमा उम्र 5 वर्ष व 2 वर्षीय पुत्र राम प्रसाद को घर में सुलाकर रात्रि 10 बजे घर के बाहर का सीटकनी लगाकर अपनी बड़ी पुत्री के साथ पास में ही गांव में कहीं किसी कार्यक्रम में खाना खाने गई हुई थी। रात्रि 2 बजे के आसपास उसके घर मे भीषण आग लग गई और सिटकनी बंद होने से तीनों मासूम बच्चे बाहर नहीं निकल पाए और जिंदा जल गये। आग लगने की जानकारी सुधनी मांझी के पड़ोसियों को सबसे पहले रात्रि ढाई बजे लगी जब वह भी उसी कार्यक्रम से दावत खाकर पहुंचे थे,तब वह देखे कि घर में भीषण आग लगी हुई थी और बड़ी-बड़ी लपटे उठ रही है, पड़ोसियों ने आग बुझाने की कोशिश की लेकिन आग नहीं बुझ पाई। कई घंटे के मशक्कत के बाद जब वह आग पर काबू पाए तो तब तक तीनों जलकर खाक हो चुके थे।
सरगुजा एडिशनल एसपी अमोलक सिंह ढिल्लों से आगजनी के संदर्भ में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि महिला का घर मिट्टी के दिवार और घास फूस और प्लास्टिक के छत से बना था,जांच में प्रथम दृश्या जो सामने आया है घर के अंदर चूल्हा में आग होगा उसी से किसी कारणवश आग चूल्हे से ही फैली होगी जिससे यह घटना हुई।पुलिस मामले की जांच कर रही है, एफएसएल की टीम ने भी जांच की है, रिपोर्ट आने के बाद खुलासा हो सकेगा।