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विदेश मंत्री जयशंकर का दावा, बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की सख्त जरूरत है

नई दिल्ली: भारत ने शनिवार को कहा कि बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की सख्त जरूरत है और संयुक्त राष्ट्र के जरिये इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में असमर्थता के कारण दुनिया को हर गुजरते दिन के साथ नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत की अध्यक्षता में शनिवार को डिजिटल माध्यम से शुरू हुए ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ के तीसरे सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया, जिसमें दुनिया भर के 123 देश शामिल हुए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शिखर सम्मेलन के विदेश मंत्रिस्तरीय सत्र में कहा, ”अगर हमें बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता को दोबारा से हासिल करना है तो इसमें सुधार की सख्त जरूरत है। वास्तव में कोई भी देश इस आकलन से असहमत नहीं होगा।” उन्होंने कहा, ”लेकिन संयुक्त राष्ट्र के जरिये इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में असमर्थता के कारण हमें हर गुजरते दिन के साथ नुकसान उठाना पड़ रहा है।” भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए दबाव बनाता रहा है और इसके पीछे उसने तर्क दिया है कि इनमें वर्तमान विश्व की वास्तविकताएं प्रतिबिंबित होनी चाहिए।

उन्होंने बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता को दोबारा से हासिल करने का आह्वान करते हुए कहा, ”यह एक निर्विवाद तथ्य है कि वैश्विक व्यवस्था के समक्ष गंभीर चुनौतियां होने के बावजूद बहुपक्षीय क्षेत्र से समाधान नहीं निकल पाया।” विदेश मंत्री ने कहा, ”इसका कारण बहुपक्षीय संगठनों का पुराना हो जाना और ध्रुवीकरण, दोनों है।”

जयशंकर ने कहा, ”भारत ने इस सम्मेलन में भी बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार करने की बात पर जोर दिया है और जी-20 के माध्यम से बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार की मांग की है। एक समूह के रूप में हमें अपना मामला आगे बढ़ाने की जरूरत है।” विदेश मंत्री ने सम्मेलन की शुरुआत के दौरान दिए गए भाषण में आर्थिक लचीलेपन को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन, बहुपक्षवाद संस्थाओं में सुधार करने सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी है।

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