रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी, यदि वे चाहें तो भारत सलाह देने को इच्छुक : जयशंकर
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता और रूस एवं यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि यदि वे सलाह चाहते हैं, तो भारत सलाह देने का सदैव इच्छुक है। जयशंकर ने यहां जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के दरवाजे बंद नहीं किए हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि भारत किन क्षेत्रों में बीजिंग के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर।
उन्होंने एक दिन पहले सऊदी अरब की राजधानी में भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ ‘सार्थक वार्ता’ की थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि इस संघर्ष का युद्ध के मैदान में कोई हल निकलने वाला है। कहीं न कहीं, कुछ बातचीत तो होगी ही। जब कोई बातचीत होगी, तो मुख्य पक्षों – रूस और यूक्रेन – को उस बातचीत में शामिल होना ही होगा।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस एवं यूक्रेन यात्राओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मॉस्को और कीव में कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता है कि आपको रणभूमि में कोई समाधान मिलने जा रहा है। हमारा मानना है कि आपको बातचीत करनी होगी …. यदि आप सलाह चाहते हैं तो हम इसके लिये सदैव इच्छुक हैं।” जयशंकर ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच मतभेद होते ही हैं लेकिन संघर्ष मतभेदों के समाधान का तरीका नहीं है। बाद में, अपनी जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने इस मुद्दे पर हर चर्चा में रूस को शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई चर्चा होती है, तो हम सोचते हैं कि इसमें रूस का होना जरूरी है। अन्यथा, चर्चा आगे नहीं बढ़ सकती। जहां तक भारत का सवाल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों पक्ष क्या चाहते हैं। हम उनसे लगातार बात करते हैं।”
उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि आज जो संघर्ष हो रहा है उसकी वास्तविकता क्या है। इसलिए, हम हमेशा ऐसे किसी भी कदम के लिए तैयार हैं जो गंभीर हो, जो प्रभावशाली हो और जो हमारे विचार में शांति की दिशा में एक कदम हो।” वार्षिक राजदूत सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) एक सफल प्रयोग है। भारत ‘क्वाड’ का सदस्य है। यह भारत, अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया का सामरिक सुरक्षा संवाद मंच (समूह) है। चीन ‘क्वाड’ को एक ऐसे गठबंधन के रूप में देखता है जिसका लक्ष्य उसके उभार पर अंकुश लगाना है। चीन इस समूह का कटु आलोचक है।
जयशंकर ने कहा कि अलग-अलग छोर पर स्थित भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘और इसी तरह हमने क्वाड को पुनर्जीवित किया। यह उन प्रमुख कूटनीतिक मंचों में से एक है जिसके लिए भारत प्रतिबद्ध है।” उन्होंने कहा कि इस संगठन का जोर समुद्री सुरक्षा पर सहयोग से एचएडीआर अभियान, कनेक्टिविटी आदि विषयों पर है। जयशंकर ने यह भी संकेत दिया कि भारत चीन के साथ व्यापार करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘चीन के साथ व्यापार के लिए हमारे दरवाजे बंद नहीं हैं… यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह एक प्रमुख विनिर्माता है। इसलिए कोई भी ऐसा नहीं है जो कह सके कि मैं चीन के साथ व्यापार नहीं करूंगा। मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में व्यापार करते हैं और किन शर्तों पर। इसलिए, इसका कोई सीधा-सीधा जवाब नहीं हो सकता है, क्योंकि यह बहुत ही जटिल विषय है।”