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सितंबर तिमाही में 6 फीसदी से ज्यादा रहेगी भारत की जीडीपी की वृद्धि दर, निर्यात पर असर

बंगलूरू : पिछली तिमाही में दहाई अंकों में बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2022-23 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर अवधि में 6% से ज्यादा रह सकती है। हालांकि, निर्यात और निवेश कमजोर रहने की आशंका है, जिसका असर भविष्य में आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा।

43 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए रॉयटर्स के सर्वे में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौटेगी और इस दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 6.2 फीसदी रह सकती है। हालांकि, यह अनुमान आरबीआई के 6.3% के मुकाबले थोड़ा कम है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 13.5% रही थी।

सरकार दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े 30 नवंबर को जारी कर सकती है। डॉयचे बैंक में भारत एवं दक्षिण एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर असाधारण रूप से अनुकूल रही थी। इससे जुलाई-सितंबर अवधि से वास्तविक वृद्धि दर सामान्य हो जाएगी और इसका सही अनुमान लगाना भी आसान हो जाएगा।

हालांकि, कारोबारी सर्वेक्षण उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर आर्थिक गतिविधियों का संकेत दे रहे हैं, जहां केंद्रीय बैंक उच्च ब्याज दरों से महंगाई पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं। इन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में कारोबारी धारणा अपेक्षाकृत मजबूत बनी हुई है।

एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री (भारत) साक्षी गुप्ता ने कहा, सेवा क्षेत्र में निरंतर सुधार से जीडीपी के क्रमिक रूप से बढ़ने की उम्मीद है। खनन व विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आ सकती है। कमजोर वैश्विक मांग में निर्यात पर असर पड़ सकता है।

भारत की आर्थिक वृद्धि दर कुछ वर्षों के लिए धीमी पड़ कर 6% रह सकती है। इससे महंगाई को आरबीआई के लक्ष्य पर वापस ले जाने के साथ बजट और चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, गोल्डमैन सॉक्स के शांतनु सेनगुप्ता ने कहा, भारत के लिए वृद्धि दर की रफ्तार सुस्त होना अच्छा साबित होगी। उम्मीद जताई कि जीडीपी में वृद्धि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष के 7.1% से घटकर 2023-24 में 6% रह सकती है। भारत का दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर रहने का खिताब छिन सकता है क्योंकि कर्ज की लागत से मांग पर असर पड़ सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 7 फीसदी कर दिया। सितंबर में इसके 2022-23 में 7.3% और 2023-24 में 6.5% रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी ने महंगाई के मोर्चे पर कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई औसतन 6.8 फीसदी रह सकती है।

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