नई दिल्ली : हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही उद्योगपति और अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) साम्राज्य हिल गया है. जवाब में अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को निराधार बताया था. 413 पन्नों के जवाब में अडानी ग्रुप ने कहा था कि रिपोर्ट ‘झूठी धारणा बनाने’ की ‘छिपी हुई मंशा’ से प्रेरित है. लेकिन अडानी ग्रुप के इस जवाब से बात बनी नहीं और शेयरों का टूटना जारी रहा. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन आधा हो गया है. हालांकि, दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी और निवेशक राधाकिशन दमानी ने भी इस साल अपनी संपत्ति गंवाई है.
अडानी, मुकेश अंबानी और राधाकिशन दमानी तीन ऐसे टॉप भारतीय अरबपति हैं, जिन्होंने इस साल बड़ा नुकसान हुआ है. हालांकि, अंबानी और दमानी की तुलना में, अडानी की नेटवर्थ को कई गुना नुकसान हुआ है. 4 फरवरी तक अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी लगभग 59 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स में 21 वें स्थान पर हैं. वो इस साल (Year to Date) अब तक अपनी 62 बिलियन डॉलर की संपत्ति गंवा चुके हैं.
वहीं, मुकेश अंबानी फिलहाल 80 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं. लेकिन उन्हें साल-दर-साल (Year to Date) के आधार पर 6.3 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. इसके बाद वेन्यू सुपरमार्ट्स (DMart) के संस्थापक राधाकिशन दमानी आते हैं, जिनकी कुल संपत्ति वर्तमान में लगभग 16.7 बिलियन डॉलर है. साल-दर-साल आधार (Year to Date) पर उनकी संपत्ति में 2.61 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है.
हिंडनबर्ग के रिपोर्ट की वजह से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. अडानी समूह की कंपनियों ने एक्सचेंजों पर सात कारोबारी सत्रों में कुल 9 लाख करोड़ रुपये का एम-कैप गंवा दिया. अडानी टोटल गैस के शेयर इस अवधि के दौरान 3,885.45 रुपये से सबसे अधिक 51 फीसदी गिरकर 1901.65 रुपये पर आ गया है. अडानी ग्रीन एनर्जी (40% नीचे), अडानी एंटरप्राइजेज (38% नीचे), अडानी ट्रांसमिशन (37% नीचे), अडानी पोर्ट्स और एसईजेड (35% नीचे), अंबुजा सीमेंट्स (33% नीचे), अडानी विल्मर (23% नीचे), अडानी पावर (22.5% नीचे), एसीसी (21% से नीचे) और एनडीटीवी (17% से नीचे) में भारी गिरावट आई.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ऐसे समय में आई जब समूह ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का FPO जारी करने का फैसला किया था. रिपोर्ट आने के बावजूद कंपनी ने अपना FPO लॉन्च किया. शुरुआत में इसे कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिला, लेकिन आखिरी दिन 31 जनवरी को ये पूरी तरह से सब्सक्राइब हो गया. लेकिन ग्रुप ने अगले ही दिन एक फरवरी को FPO को वापस ले लिया. अडानी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा कि दिन के कारोबार के दौरान समूह के शेयरों में आए उतार-चढ़ाव के वजह से ये फैसला किया गया.