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भारत में बढ़ेंगे पेट्रोल के दाम? फिक्स हो सकती हैं रूसी क्रूड ऑयल की कीमतें

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रूस ने सस्ते दामों पर कच्चा तेल (Crude Oil price) बेचने का तरीका निकाला. इसका फायदा भारत और चीन जैसे क्रूड ऑइल के बड़े उपभोक्ता देशों को हुआ, लेकिन अब जल्द ही इस व्यवस्था पर संकट आ सकता है. वजह पश्चिमी देश रूस से आने वाले कच्चे तेल की कीमतों पर कैपिंग करने पर विचार कर रहे हैं. अब देखना ये है कि क्या इसका असर भारत पर भी पड़ेगा, और हिंदुस्तान में पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे?

मिंट की एक खबर के मुताबिक यूरोपीय यूनियन के देशों ने रूसी कच्चे तेल की कीमत 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल फिक्स करने का मन बनाया है. ये रूस में कच्चे तेल के उत्पादन की लागत से काफी ज्यादा है. इससे इतनी ऊंची प्राइस कैप लगाने से रूस के कच्चे तेल के व्यापार को नुकसान होने की संभावना तो है, लेकिन रूस अभी भारी डिस्काउंट पर कच्चे तेल की बिक्री कर रहा है, तो संभव है कि इस कदम का असर उतना न पड़े.

खबर के मुताबिक सबसे पहले रूसी कच्चे तेल के लिए 65-70 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप G7 देश कर सकते हैं. जबकि ईयू के कई देशों का मानना है कि ये कीमत रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले की औसत कीमत के बराबर है. ये मौजूद परिस्थितियों के हिसाब से काफी ज्यादा है. इस संबंध मे यूरोपीय यूनियन के राजदूतों की एक बैठक बुधवार को हुई.

सोचने वाली बात ये है कि रूसी तेल पर इस कैपिंग की जरूरत क्या है? दरअसल पशिमि देश दुनिया में तेल की कीमतें न बढ़ने देने के साथ-साथ रूस की आय को सीमित रखना चाहते हैं, ताकि रूस-यूक्रेन युद्ध में उसकी ताकत को कम किया जा सके. लेकिन भारत और चीन जैसे बड़े उपभोक्ता देशों की खरीद के चलते रूस इस बात से बहुत ज्यादा चिंतित नजर नहीं आ रहा, क्योंकि वो पहले से सस्ते दामों पर इन्हें तेल की बिक्री कर रहा है.

हालांकि प्राइस कैप लागू हो जाने के बाद अगर कंपनियां इससे काम कीमत पर कच्चा तेल खरीदती हैं, तो उन्हें शिपिंग, बीमा और वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी. इसी के साथ कई और सुविधाओं के वंचित कर दिया जाएगा और कच्चे तेल के व्यापार का जोखिम बढ़ जाएगा.

यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत बड़ी मात्रा में रूस से तेल (India crude oil import from Russia) खरीद रहा है. उसे ये तेल भारी छूट पर मिल रहा है. तभी तो पश्चिमी देशों के कड़े मिजाज के बावजूद दोनों देशों के बीच तेल का व्यापार जारी है. ऐसे में माना जा रहा है कि रूसी तेल पर प्राइस कैप का असर भारत पर भी पड़ेगा.

हालांकि अगर प्राइस कैप 65 से 70 डॉलर के बीच रहता है तो भारत के लिए यह वर्तमान जैसी ही स्थिति होगी क्योंकि भारत को रूस से कच्चा तेल अभी इसी कीमत के आस-पास मिल रहा है. हाल ही में पेट्रोलियम और गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्राइस कैप से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि भारत सरकार पर जी-7 और यूरोपीय यूनियन के प्राइस कैप को लेकर कोई दबाव नहीं है.

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