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PM मोदी बोले- अगर दोबारा आती अटल सरकार तो 10 साल पहले बन जाता पुल

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को सबसे लंबा रेलवे-रोड पुल समर्पित किया. असम के डिब्रूगढ़ में प्रधानमंत्री ने आज 4.94 किलोमीटर की लंबाई वाले बोगीबील ब्रिज का उद्घाटन किया. इस पुल की मदद से असम और अरुणाचल प्रदेश की दूरी कम हो गई है, ये पुल असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट को धेमाजी जिले से जोड़ता है. इससे ही सटा अरुणाचल का सिलापत्थर भी है. इस पुल को चीन के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है.

PM मोदी बोले- अगर दोबारा आती अटल सरकार तो 10 साल पहले बन जाता पुलइस पुल को भारतीय इंजीनियरिंग की अनोखी मिसाल भी कह सकते हैं, क्योंकि ये डबलडेकर ब्रिज है. जिस पर ट्रेन और बसें एक साथ दौड़ेंगी. इस पुल को बनाने में करीब 4857 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है. प्रधानमंत्री ने पुल के दक्षिणी क्षेत्र से उद्घाटन किया, जिसके बाद पुल पर सफर करते हुए वह उत्तरी हिस्से में गए.

पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली को भी संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है. उन्होंने कहा कि आज केंद्र की सरकार सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है और देश में सुशासन ला रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि ये देश का पहला पूरी तरह स्टील से बना पुल है. इस पर एक साथ गाड़ियां और ट्रेन इस पर दौड़ेंगी और देश की सामरिक शक्ति को ताकत मिलेगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पुल की मदद से लोगों का सफर आसान होगा और असम के लिए ये एक लाइफलाइन के तौर पर काम करेगा. इससे असम और अरुणाचल के बीच की दूरी सिमट गई है. आजादी के बाद ब्रह्मपुत्र में 70 साल में कुल 3 ब्रिज बने और पिछले चार साल में ही हमने ब्रह्मपुत्र के ऊपर तीन ब्रिज बना दिए हैं. जबकि नए पुलों पर भी काम चल रहा है.

PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस पुल का निर्माण अटल जी के कारण शुरू हो पाया, 2004 में जब उनकी सरकार गई तो उनके प्रोजेक्ट को रोक दिया गया. अगर अटल जी की सरकार को अवसर मिलता तो 2007-08 तक ये पुल पूरा हो जाता, यूपीए की सरकार जो केंद्र में रही उसने पुल पर ध्यान नहीं दिया. 2014 में जब हमारी सरकार आई तो उसके बाद से ही नॉर्थ ईस्ट पर विशेष ध्यान दिया गया है. 2014 से पहले हर साल करीब 100 किलोमीटर सड़कें बनती थी, लेकिन जबसे उनकी सरकार आई है तभी से हर साल 350 KM. सड़कें बन रही हैं.

प्रधानमंत्री मोदी बोले कि उज्जवला योजना के तहत करीब 24 लाख मुफ्त गैस के कनेक्शन असम गरीब बहनों को दिए जा चुके हैं. जिसका परिणाम है कि असम में साढ़े 4 वर्ष पहले तक जहां करीब 40 प्रतिशत घरों में गैस सिलेंडर था, वहीं आज ये दायरा दोगुना, करीब 80 प्रतिशत हो चुका है. उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत बीते एक वर्ष में ही असम के 12 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया है. जिससे असम में बिजलीकरण का दायरा करीब 50 प्रतिशत से बढ़कर करीब 90 प्रतिशत हो चुका है.

PM ने कहा कि आप उस स्थिति को भी याद करिए जब यहां टी-गार्डन में काम करने वाले बहन-भाईयों के बैंक खाते ही नहीं थे. जनधन योजना के तहत 7 लाख कामगार बहन-भाईयों के बैंक अकाउंट खुलवाए गए हैं. अगर मैं पूरे असम बात करूं, तो राज्य में करीब डेढ़ करोड़ जनधन खाते हमारी सरकार ने ही खुलवाए हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 1.25 करोड़ से अधिक लोगों को घर दिए हैं, भ्रष्टाचार को खत्म किया जा रहा है.

PM ने कहा कि चार साल पहले कोई नहीं सोच सकता था कि हेलिकॉप्टर घोटाले का सबसे बड़ा राजदार जेल में होगा. आज हमारे कार्यकाल में वह जेल में आ गया है. पिछली सरकार ने जो पैसे बांटे थे उसमें से करीब 3 लाख करोड़ रुपये हम वापस ला चुके हैं.

चीन को जवाब

इस पुल को अरुणाचल प्रदेश से सटे बॉर्डर पर चीन की चुनौती का जवाब माना जा रहा है. सेना की जरूरतों के लिहाज से ये पुल काफी अहम है, इस पुल पर सेना के भारी टैंक भी आसानी से ले जाया जा सकेंगे. पुल के निचले हिस्से में 2 रेलवे लाइनें बिछाई गई हैं और ऊपर 3 लेन की सड़क बनी है.

आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने 1997 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. जबकि 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इस ब्रिज पर काम शुरू किया गया था. अब अटल बिहारी वाजपेयी की ही जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल को देश को समर्पित किया.

पुल की खास बातें…

> बोगीबील ब्रिज की शुरुआती लागत 3230 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 4857 करोड़ रुपये हो गई है.

> ब्रह्मपुत्र नदी पर 4.94 KM. लंबा पुल यूरोपीय मानकों के आधार पर बनाया गया है. इसके निर्माण में जो सामग्री इस्तेमाल की गई है वो जंगरोधी है. यह 120 साल तक पूरी तरह सुरक्षित है.

> इस पुल में 42 डबल डी वेल फाउंडेशन के खंभे हैं, इन खंभों की वजह से पुल की मजबूती बहुत ज्यादा है. इस वजह से भयानक बाढ़ और बड़े भूकंप के झटकों को भी ये पुल आसानी से सहन कर सकता है.

इस पुल के बनने से पूर्वी असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच सफर करने में लगने वाला वक्त घटकर सिर्फ 4 घंटे का रह जाएगा. इतना ही नहीं दिल्ली से डिब्रूगढ़ की यात्रा का वक्त 3 घंटे कम हो जाएगा.

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