नैनीताल : रूस के साथ युद्धग्रस्त यूक्रेन से सकुशल घर लौटी छात्रा प्रेरणा केंद्र और राज्य सरकार के प्रबंध से बेहद खुश हैं। आपबाती साझा करते हुए प्रेरणा ने कहा कि रूस के हमले के बाद हालात बेहद खराब हैं। इवानो स्थित कॉलेज के सभी बच्चों को पहले बंकरों में ठहरा गया गया। बंकरों में खाने-पीने से लेकर शौचालय आदि की व्यवस्था थी। मगर डर तो लगता ही था। प्रेरणा के मुताबिक मौका मिलते ही वह और उनके साथी बस में भारतीय तिरंगा लगाकर रोमानिया की सीमा के लिए निकले। रास्ते में कोई समस्या नहीं आई। सीमा से करीब 11 किलोमीटर पहले वाहनों की भीड़ लग जाने से दिक्कत हुई। जाम से बचने के लिए सीमा तक पैदल चलना पड़ा।
वह कहती है कि यूक्रेन की सीमा पर एक छोटे से गेट से केवल भारतीय छात्र-छात्राओं और यूक्रेन के निवासियों को 20-20 के समूह में रोमानिया में प्रवेश कराया गया। भीड़ की वजह से कई घंटे तक लाइन में लगना पड़ा। यूक्रेन की पुलिस लाइन लगवाने के लिए धक्के मार रही थी। नाइजीरिया के लड़के लाइनों से हटाये जाने के कारण भारतीय छात्र-छात्राओं से झगड़ा और मारपीट कर रहे थे। रणा के मुताबिक रोमानिया में प्रवेश करते ही सारी समस्याएं समाप्त हो गईं। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है। उन्होंने सभी को हवाई जहाज में बैठाया। दिल्ली पहुंचने पर उत्तराखंड की हेल्प डेस्क ने उन्हें फूलों के गुलदस्ते भेंटकर रिसीव किया।
प्रेरणा के पिता प्रेम सिंह बिष्ट ने बताया कि वह बेटी को लेने अपनी कार से दिल्ली गए। उन्हें पहुंचने में थोड़ी देर हो गई, लेकिन उत्तराखंड के अधिकारी उनकी बेटी को संभाले हुए थे और उनके पहुंचने पर पूछा कि यदि उनके पास प्रबंध नहीं है तो वह नैनीताल पहुंचाने का प्रबंध भी कर सकते हैं। ऐसे प्रबंधों से खुश बिष्ट ने कहा कि वह सरकार के प्रबंधों को 100 में से 100 से भी अधिक अंक देंगे। इतने अच्छे प्रबंधों से कभी उनकी बेटी सामान्य परिस्थितियों में भी यूक्रेन से वापस नहीं आई।