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यौन शोषण का मामला : तरुण तेजपाल की बंद कमरे में सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल की उस याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया जिसमें यौन उत्पीड़न के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर बंद कमरे में सुनवाई की मांग की गई थी। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने तेजपाल के वकील से कहा कि वह यह नहीं कह सकते कि अपील पर सुनवाई बंद कमरे में होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “आरोपी को यह मांग करने का कोई अधिकार नहीं है कि इसे बंद कमरे में होना चाहिए।” तेजपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि निजता के अधिकार हैं और उनके मुवक्किल की प्रतिष्ठा भी इसमें शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि तेजपाल को बरी कर दिया गया था और आरोप प्रथम ²ष्टया झूठे थे, साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि यह एक ऑनलाइन सुनवाई होगी।

सिब्बल ने कहा, “यह एक मीडिया ट्रायल होगा।” उन्होंने कहा कि पीड़ित की पहचान भी उजागर की जाएगी। तेजपाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने इस बात पर जोर दिया कि अपील की कार्यवाही बंद कमरे में होनी चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा, क्या कोई अभियुक्त यह दावा कर सकता है कि सुनवाई बंद कमरे में होनी चाहिए जबकि पीड़िता ऐसी मांग नहीं करती है?

गोवा सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायाधीश ने फैसले में पीड़िता के नाम का खुलासा किया था और यह एक विश्वकोश है कि पीड़िता को ऐसी स्थितियों में कैसे व्यवहार करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित न्यायाधीश को कार्यवाही के संचालन पर निर्णय लेने दें और तेजपाल के वकील को संबंधित अदालत के समक्ष अपनी बात रखने को कहा। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) ने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया है कि सुनवाई वर्चुअल तरीके से हो।

पीठ ने कहा, “हम उचित निर्णय लेने के लिए इसे उच्च न्यायालय पर छोड़ देते हैं (चाहे मामले को वस्तुत: या भौतिक रूप से सुना जाए)।” गोवा सरकार ने तेजपाल को बरी किए जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पिछले साल मई में, ट्रायल कोर्ट ने तेजपाल को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया था, जिसमें गलत तरीके से कैद करना, लज्जा भंग करने के इरादे से हमला, यौन उत्पीड़न और उनकी महिला सहकर्मी के खिलाफ बलात्कार शामिल था। गोवा सरकार ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके बरी किए जाने को चुनौती देते हुए अपील दायर की। तेजपाल ने मामले की बंद कमरे में सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी।

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