अन्तर्राष्ट्रीय

क्यों बढ़ी अमरीका-रूस रिश्तों में दरार ?

मॉस्कोः रूस ने अमरीका द्वारा लगाए गए ताजा प्रतिबंधों के जवाब में 755 अमरीकी राजनयिकों को देश छोड़कर जाने का आदेश दिया है। रूस का यह फैसला अमरीका और उसके रिश्तों का तनाव और बढ़ा देगा। हाल ही में अमरीकी कांग्रेस के दोनों हाऊस ने लगभग एकमत होकर रूस पर ताजा प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अमरीकी राजनयिकों को ‘रूस निकाला’ देने का ऐलान करते हुए राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने कहा कि वॉशिंगटन के ‘गैरकानूनी’ फैसले के खिलाफ यह मॉस्को की प्रतिक्रिया है। US कांग्रेस ने रूस पर यह प्रतिबंध लगाने के 2 कारण गिनाए हैं। पहली वजह तो 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करना है और दूसरा कारण 2016 के अमरीकी चुनाव में मॉस्को द्वारा की गई कथित दखलंदाजी।

मौजूदा स्थितियों में ट्रंप भले ही इस बैन का कितना भी विरोध करें, लेकिन अपनी साख बचाने के लिए उन्होंने इस बिल पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है। पिछले साल दिसंबर में अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में बराक ओबामा ने 35 रूसी राजनयिकों को अमरीका छोड़कर जाने का आदेश दिया था। दरअसल अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के समय से ही डोनल्ड ट्रंप और पुतिन के रिश्तों को लेकर काफी कुछ कहा और लिखा जा रहा है।

ट्रंप और पुतिन की कथित नजदीकियों को देखते हुए माना जा रहा था कि अमरीका और रूस के बीच कायम पुरानी होड़ व आक्रामकता कम होगी और उनके आपसी संबंध सुधरेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। रूस पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों के पीछे अमरीकी कांग्रेस का हाथ है। ट्रंप इस बैन के पक्ष में नहीं थे। इस घटनाक्रम ने ट्रंप को अलग-थलग कर दिया। ट्रंप के सामने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करने का विकल्प है। वह चाहें तो वीटो का इस्तेमाल कर इस बैन को रद्द कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने पर उन्हें राजनैतिक तौर पर काफी नुकसान हो सकता है। रूस के साथ संबंधों को लेकर उनके ऊपर पहले से ही उंगली उठ रही है, अब अगर उन्होंने अमरीकी कांग्रेस के फैसले को पलटा तो मॉस्को के प्रति नरम रवैया अपनाने के लिए वह और ज्यादा विवादों में घिर जाएंगे। यही वजह है कि ट्रंप ने इस बिल पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है।

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